गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्राओं को चाहिए पिंक टायलेट, सेनेटरी पैड के निस्तारण में भी होती है दिक्कत
छात्राओं का कहना है कि समस्या से उन्हें निजात तभी मिलेगी जब विश्वविद्यालय में पिंक टायलेट का निर्माण हो जाएगा। पिंक टाइलेट में छात्र जाने से हिचकेंगे। जो बदमाशीवश उस टायलेट में जाएंगे उन्हें चिन्हित करना आसान हो जाएगा।
गोरखपुर, जेएएन। यूं तो दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सभी संकायों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था है पर छात्राओं को अपने लिए यह व्यवस्था नाकाफी लगती है। ज्यादातर शौचालय छात्रों के साथ हैं, ऐसे में उनके सामने सुरक्षा की समस्या हमेशा बनी रहती है। आसपास शौचालय होने के चलते कई बार अपना शौचालय खाली न होने पर छात्र उन शौचालयों का लाभ उठाने से नहीं हिचकते, जो खासतौर से छात्राओं के लिए बने हैं।
छात्राओं का कहना है कि इस समस्या से उन्हें निजात तभी मिलेगी, जब विश्वविद्यालय में पिंक टायलेट का निर्माण हो जाएगा। पिंक टाइलेट में छात्र जाने से हिचकेंगे। जो बदमाशीवश उस टायलेट में जाएंगे, उन्हें चिन्हित करना आसान हो जाएगा। सेनेटरी पैड के निस्तारण की समस्या भी समस्या समाप्त हो जाएगी, क्योंकि पिंक टायलेट इसकी व्यवस्था भी होती है। विश्वविद्यालय में टायलेट की समस्या और पिंक टायलेट की जरूरत को लेकर कुछ छात्राओं ने अपनी प्रतिक्रिया इस तरह दी।
सुरक्षा के लिए जरूरी है पिंक टायलेट
एमए द्वितीय वर्ष की छात्रा हर्षिता शुक्ला का कहना है कि विश्वविद्यालय में पिंक टायलेट का निर्माण छात्राओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। यह टायलेट दूर से ही अन्य टायलेट अलग सा दिखता है, ऐसे में छात्र उसमें नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा पिंक शौचालय में छात्राओं के लिए विशेष व्यवस्था होती है, ऐसे में इसके इस्तेमाल में वह खुद को सहज महसूस करेंगी।
टायलेट के लिए भटकने से मिलेगी निजात
बीकाम (द्वितीय वर्ष) की छात्रा जया चौहान का कहना है कि विश्वविद्यालय में छात्राओं को टायलेट के इधर-उधर भटकना पड़ता है। कई बार छात्राओं को असहज स्थिति का सामना भी करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को पिंक टायलेट के निर्माण पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। छात्राओं की जरूरत को देखते हुए यह बहुत जरूरी है।
पिंक शौचालय में मिलेगी छात्राओं का ज्यादा सुविधा
एमए (प्रथम वर्ष) कर छात्रा आराध्या पांडेय का कहना है कि विश्वविद्यालय में ज्यादातर स्थानों पर छात्रों और छात्राओं के टायलेट साथ-साथ हैं। यह स्थिति छात्राओं के लिए दिक्कत सबब है। कई बार छात्र छात्राओं के शौचालय का इस्तेमाल कर लेते हैं, ऐसे में सुरक्षा की समस्या खड़ी होती है। पिंक टायलेट अगर बन जाए तो उसमें सेनेटरी पैड के निस्तारण की समस्या का भी समाधान हो जाएगा।
को-एजुकेशन में जरूरी है पिंक टायलेट
बीए (तृतीय वर्ष) की छात्रा महिमा मिश्रा का कहना है कि पिंक रंग को महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही सरकार पिंक बस, पिंक आटो, पिंक टायलेट जैसे कान्सेप्ट लेकर आई है। गोरखपुर विश्वविद्यालय में हजारों छात्राओं पढ़ती हैं। चूंकि यहां को-एजुकेशन है, ऐसे में पिंक टायलेट की यहां सख्त जरूरत है। विश्वविद्यालय को भी यह इंतजाम करना चाहिए।