Coronavirus से जंग में गिलोय की मांग बढ़ी, बाजार में कम पड़ गए च्यवनप्राश Gorakhpur News

आमतौर पर लोग च्यवनप्राश का इस्तेमाल जाड़े में करते हैं लेकिन इस बार गर्मी में लोगों ने इस जमकर खरीदा। आंवला गिलोय तुलसी एलोविरा अश्वगंधा आदि की मांग बढ़ी हैैै।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 10:00 AM (IST)
Coronavirus से जंग में गिलोय की मांग बढ़ी, बाजार में कम पड़ गए च्यवनप्राश Gorakhpur News
Coronavirus से जंग में गिलोय की मांग बढ़ी, बाजार में कम पड़ गए च्यवनप्राश Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए अबतक न तो कोई वैक्सीन बनी है, न ही इलाज के लिए कोई कारगार दवा। सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता के दम पर ही वायरस से जंग जीती जा सकती है। यही वजह कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने न सिर्फ योग-व्यायाम का सहारा लिया बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों व दवाओं की मदद ली। इसका असर आयुर्वेद से जुड़े उत्पादों का साफ देखा गया। इनकी बिक्री बढ़ कर दो-तीन गुना हो गई। वैसे तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली तकरीबन सभी आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग बढ़ी है लेकिन गिलोय की बिक्री सर्वाधिक है। उधर गर्मी होने के बावजूद बाजार में च्यवनप्राश की कमी हो गई है।

पूर्वांचल में थोक दवाओं के सबसे बड़े बाजार भालोटिया मार्केट में आयुर्वेद दवाओं के विक्रेता संजय भारद्वाज ने बताया कि आमतौर पर लोग च्यवनप्राश का इस्तेमाल जाड़े में करते हैं, लेकिन इस बार गर्मी में लोगों ने इस जमकर खरीदा। यहां तक कि इस पर लॉकडाउन के दौरान जितना च्यवनप्राश उतनी बिक्री इस बार जाड़े में भी नहीं हुई। इसके अलावा रस व पाउडर दोनों रूप में आंवला, गिलोय, तुलसी, एलोविरा, अश्वगंधा, मुलेठी आदि की खपत बढ़ी है। भारद्वाज बताते हैं कि थोक-दुकानों पर जहां पूर्वांचल के दूर-दराज के इलाकों से फुटकर विक्रेताओं की तरफ से इन उत्पादों की भारी मांग आई।

आयुर्वेद दवाओं के फुटकर विक्रेता मुकेश शुक्ला बताते हैं कि लॉकलाउन के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं व उत्पादों की बिक्री में भारी उछाल आया है। लोग आंवला, गिलोय, तुलसी, एलोविरा, अश्वगंधा, मुलेठी की खपत बढ़ी है। लेकिन इनमें से गिलोय की पूछ सबसे ज्यादा रही। ज्यादातर ठंड के मौसम में बिकने वाले च्यवनप्राश का हाल तो यह है कि यह गर्मी के मौसम में भी इतना अधिक बिका कि बाजार में इसकी कमी हो गयी है।

अंग्रेजी के दुकानदार भी रखने लगे आयुर्वेद दवाएं

बढ़ती मांग को देखते हुए अब अंग्रेजी दवा व्यवसायी भी बड़ी मात्रा में अंग्रेजी दवाएं रखने लगे हैं। गोरखपुर दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया बताते हैं कि लोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उत्पाद मसलन गिलोय, तुलसी, मुलेठी, आंवला आदि की टैबलेट व रस के रूप में रखने लगे हैं। इनकी बिक्री भी खूब हो रही है। दवा व्यवसायी सुनील अरोरा ने बताया कि आजकल आयुर्वेद दवाओं की बिक्री तेजी से बढ़ी है। ढूढऩे पर भी च्यवनप्राश नहीं मिल रही है।

फोन से ले रहे सलाह

आयुर्वेद चिकित्सक डा. जेपी नारायण ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ओपीडी तो बंद है लेकिन बड़ी तादाद में लोग फोन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेद दवाओं के बारे में सलाह ले रहे हैं। ऐसे में लोगों को गिलोय, च्यवनप्राश, आंवला, अश्वगंधा आदि का सेवन करने की सलाह दी जा रही है। गिलोय एंटीबायोटिक का काम करने के साथ ही श्वसन संबंधी समस्याओं में कारगर है। प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इसी तरह आंवला, अश्वगंधा, मुलेठी आदि भी कारगर हैं।

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