गोरखपुर जेल में बंद जर्मन कैदी अब अपने देश में काटेगा सजा

गोरखपुर जिला जेल में बंद जर्मन कैदी बैरेंड मैनफ्रेंड अपनी बची हुई सजा अब अपने देश में काटेगा। उसके देश वापसी की तारीख तय हो गयी है। 12 अगस्त को उसे जर्मन दूतावास भेजा जाएगा। जहां से जर्मन पुलिस मैनफ्रेंड को अपने साथ ले जाएगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 01:50 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 01:50 PM (IST)
गोरखपुर जेल में बंद जर्मन कैदी अब अपने देश में काटेगा सजा
गोरखपुर जिला कारागार की फाइल फोटो। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिला कारागार में निरुद्ध जर्मन कैदी बैरेंड मैनफ्रेंड अपनी बची हुई सजा अब अपने देश में काटेगा। उसके देश वापसी की तारीख तय हो गयी है। 12 अगस्त को उसे जर्मन दूतावास भेजा जाएगा। जहां से जर्मन पुलिस मैनफ्रेंड को अपने साथ ले जाएगी।

यह है मामला

एसएसबी व महराजगंज पुलिस की संयुक्त टीम ने अक्टूबर 2014 में जर्मनी के सजसेन निवासी बैरेंड मैन फ्रेंड को नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में नेपाल सीमा पर गिरफ्तार किया था। एनडीपीएस ऐक्ट के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से एक नवंबर 2014 को उसे महराजगंज जेल भेजा गया था। प्रशासनिक आधार पर एक अक्टूबर 2015 को बैरेंड मैन फ्रेंड को गोरखपुर कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।

20 दिसम्बर 2018 को कोर्ट ने उसे 10 साल कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गयी।बैरेंड मैनफ्रेंड अब तक साढ़े छह साल की सजा जेल में काट चुका है। बची हुई सजा वह अब जर्मनी की जेल में काटेगा।जेलर प्रेम सागर शुक्ल ने बताया कि गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद बैरेंड मैनफ्रेंड को जर्मनी भेजने की कार्रवाई चल रही है।शेष सजा वहां की जेल में काटेगा। 12 अगस्त को उसे जर्मन दूतावास भेजा जाएगा।

साइबर अपराध को लेकर जागरूक किये गए सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी

साइबर अपराध को लेकर शनिवार को सेवानिवृत्त पुलिस कर्मियों को जागरूक किया गया। उन्हें बताया गया कि वह सावधानियां अपनाएं। जिले में कई सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी साइबर ठगों के झांसे में फंसकर लाखों रुपये गवां चुके हैं।

पेंशनधारी पुलिस कर्मियों को जागरूक करने के लिए शनिवार को पुलिस लाइन परिसर में एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें पुलिस अधीक्षक नगर सोनम कुमार ने बताया कि साइबर अपराधी पुलिसवालों को भी अपना निशाना बना रहे हैं। विशेषकर सेवानिवृत्त पुलिस कर्मियों को। ऐसे में उन्हें विशेष जागरूक रहने की जरूरत है। किसी को पेंशन का झांसा देकर तो किसी को आनलाइन पीएफ खाते में भेजने का झांसा देकर वह लाखों की ठगी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह लोगों के पास ट्रेजरी अफसर बनकर फोन कर रहे हैं। ऐसे में किसी के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि जालसाजों ने किसी तरह से सेवानिवृत्त पुलिस कर्मियों का डाटा एकत्र कर लिया है। उसी के आधार पर वह लोगों को जालसाजी का शिकार बना रहे हैं। ऐसे में किसी के कहने पर मोबाइल में अननोन ल‍िंक, क्विक सपोर्ट/एनीडेस्क जैसे साफ्टवेयर स्टाल न करें। मीट‍िंग में एसपी ट्रैफिक आरएस गौतम, सीओ क्राइम वीपी स‍िंह आदि मौजूद रहे।

यह अपनाएं सावधानी

किसी भी अनजान व्यक्ति से ओटीपी, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड की डिटेल व यूजर आईडी पासवर्ड शेयर न करें

विभिन्न माध्यमों जैसे-एसएमएस, ई-मेल, वाट्सएप मैसेज आदि पर प्रसारित हो रहे ल‍िंंक को न खोलें।

किसी भी कम्पनी का कस्टमर केयर नंबर गूगल पर सर्च करके प्रयोग में न लाएं।

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