मोरारी बापू की रामकथा में लगे टेंट को जीडीए ने रोका, जानें-क्‍या थी वजह Gorakhpur News

नियमों के मुताबिक रामकथा की आयोजन समिति को तीस हजार रुपये प्रतिदिन शुल्क और 50 हजार रुपये अतिरिक्त शुल्क के रूप में 3.20 लाख रुपये जमा करने थे जो समिति ने जमा नहीं किया।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 07:39 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 10:00 PM (IST)
मोरारी बापू की रामकथा में लगे टेंट को जीडीए ने रोका, जानें-क्‍या थी वजह Gorakhpur News
मोरारी बापू की रामकथा में लगे टेंट को जीडीए ने रोका, जानें-क्‍या थी वजह Gorakhpur News

 गोरखपुर, जेएनएन। मोरारी बापू की रामकथा में लगे टेंट हाउस के सामान को जीडीए ने जाने से रोक दिया। अधिकारियों का कहना था कि मैदान की बुकिंग का शुल्क जमा नहीं किया है, जिसके चलते सामान यहां से नहीं जा सकता है। खबर मिलते ही आयोजन समिति ने तत्काल रकम जमा करा दी, जिसके बाद सामान छोड़ा गया। 
तब 24 घंटे में तैयार कर दी थी पुलिया
उल्‍लेखनीय है कि कथा वाचक मोरारी बापू की गोरखपुर के तारामंडल के चंपादेवी पार्क में पांच अक्‍टूबर से राम कथा का आयोजन किया गया था। उनके आयोजन के पहले तारामंडल क्षेत्र में एक पुलिया थी, जो पिछले चार महीने से क्षतिग्रस्त हालत में थी। जीडीए ने कथा में श्रद्धालुओं के आवागमन की सुविधा को देखते हुए पुलिया को जीडीए ने 24 घंटे में बना दिया। इतना ही नहीं, इसके लिए जीडीए को कुशीनगर से बड़ी पोकलेन मशीन मंगाकर खोदाई करानी पड़ी थी। मिट्टी, गिट्टी और स्टोन डस्ट डालकर पुलिया के ऊपर के भाग को बराबर कर आवागमन शुरू करा दिया गया। तब महीनों से बंद रास्ता शुरू होने पर तारामंडल क्षेत्र के लोगों को राहत मिली है। जीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष अमित सिंह बंसल ने वाटर पार्क के ठीक पहले निर्माणाधीन पुलिया को घटिया बताते हुए 15 मई को ध्वस्त करा दिया था। तभी से पुलिया अधूरी पड़ी थी। जीडीए ने इसके निर्माणं को लेकर टेंडर आमंत्रित किया था लेकिन विवाद को देखते हुए किसी ठेकेदार ने रुचि नहीं दिखाई। 
अब नियमों का हवाला, 3.20 लाख था बकाया
अब उसी जीडीए ने नियमों का हवाला देकर टेंट हाउस का सामान रोक लिया। नियमों के मुताबिक रामकथा की आयोजन समिति को तीस हजार रुपये प्रतिदिन शुल्क और 50 हजार रुपये अतिरिक्त शुल्क के रूप में 3.20 लाख रुपये जमा करने थे, जो समिति ने जमा नहीं किया। कथा खत्म होने के बाद टेंट का सामान भी लगभग वापस चला गया। गुरुवार को बाकी बचा सामान गाडिय़ों पर लोड रहा था, इसी बीच जीडीए अधिकारियों को पता चला कि समिति ने अब तक शुल्क जमा नहीं किया है, जिसके बाद उन्होंने सामान रुकवा दिया। इसकी खबर मिलते ही समिति ने इसे भूल बताते हुए तत्काल रकम को जमा कराया, जिसके बाद सामान छोड़ा गया। 

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