मेडिकल कॉलेज में होगा Coronavirus संक्रमित के शव का अंतिम संस्कार Gorakhpur News
महापौर ने बताया कि डीएम को सुझाव दिया गया है कि वह मेडिकल कॉलेज में एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनवाएं ताकि कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार वहीं कर दिया जाए।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में मौत होने पर वहीं अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था होगी। मेडिकल कॉलेज में शवदाह गृह बनाने के लिए महापौर सीताराम जायसवाल ने डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन से बात की है। महापौर ने कहा कि लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आधारित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार से प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। यदि शवदाह गृह बन गया तो शव को राप्ती तट तक ले जाने में संक्रमण फैलने की आशंका भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनाने का सुझाव
महापौर ने बताया कि डीएम को सुझाव दिया गया है कि वह मेडिकल कॉलेज में एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनवाएं ताकि कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार वहीं कर दिया जाए। मेडिकल कॉलेज परिसर में पर्याप्त जगह भी है। राप्ती तट पर भी एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनाया जाएगा। यहां मेडिकल कॉलेज के अलावा दूसरे स्थानों से आए कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
राप्ती तट पर शवदाह गृह को कमिश्नर की मुहर
राजघाट स्थित राप्ती नदी के तट पर एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनाने के लिए कमिश्नर ने स्वीकृति दे दी है। अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए स्थल पर ही एलपीजी आधारित शवदाह गृह बनाया जाएगा। इससे काम जल्द पूरा होगा और तकरीबन 15 लाख रुपये की बचत भी होगी। महापौर ने बताया कि अंतिम संस्कार में तकरीबन 14 किलोग्राम एलपीजी खर्च होगी।
जिले में कोरोना संक्रमण से पांचवीं मौत
बड़हलगंज के 45 वर्षीय कैलाश की देर रात मौत हो गई। मौत के बाद उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। राजघाट पर कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम संस्कार करा दिया गया। यह जिले में कोरोना संक्रमण से पांचवीं मौत है। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि बड़हलगंज के बेलसड़ी गांव में होम क्वारंटाइन कैलाश की तबीयत बिगडऩे पर सोमवार को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया था। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उनका नमूना जांच के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके गांव को सील कर दिया गया है। कैलाश 19 मई को मुंबई से परिवार के पांच सदस्यों के साथ घर आए थे। उन्हें घर पर ही क्वारंटाइन किया गया था। सांस फूलने की शिकायत पर उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया। सीएचसी से उन्हें जिला अस्पताल और फिर वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था।