गोरखपुर के वायु प्रदूषण को चौदह विभाग मिलकर सुधारेंगे Gorakhpur News
इस प्लान के क्रियान्वयन पर जिले की हवा स्वच्छ व लोगों के लिए सेहतमंद होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले चार वर्षों से यहां वायु में पीएम 2.5(पैरामीटर डस्ट पार्टिकिल 2.5 माइक्रोन) की मात्रा देखी जाती है। यह डस्ट पार्टिकिल के अत्यंत छोटे कण होते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष गोरखपुर की हवा अधिक स्वच्छ रही है। पिछले तीन माह से एयर क्वालिटी इंडेक्स में थोड़ी सी वृद्धि अवश्य हुई है, लेकिन अभी स्थिति भयावह नहीं है। फिर भी बीते वर्षों में हुई लापरवाही के चलते केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने इसे नान अटेनमेंट सिटी में शामिल किया है। अब जिले के 14 विभाग गोरखपुर के वायु प्रदूषण सुधार के लिए सुझाव तैयार करके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गोरखपुर को भेजेंगे। इस पर वायु प्रदूषण सुधार के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लान तैयार किया जाएगा।
इस प्लान के क्रियान्वयन पर जिले की हवा स्वच्छ व लोगों के लिए सेहतमंद होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पिछले चार वर्षों से यहां वायु में पीएम 2.5(पैरामीटर डस्ट पार्टिकिल 2.5 माइक्रोन) की मात्रा देखी जाती है। यह डस्ट पार्टिकिल के अत्यंत छोटे कण होते हैं। यह सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक होते हैं। यह हवा में अधिक देर तक रहते हैं। इन पर अध्ययन किया गया। इसके अलावा पीएम 10, यह थोड़ा कम खतरनाक होता है। लेकिन सेहत के लिए यह भी हानिकारक है। इसके साथ सल्पर डाई आक्साइड व नाइट्रोजन डाई आक्साइड की मात्रा हवा के देखी जाती रही है। पिछले चार वर्षों में इनकी मात्रा वर्ष के तीन चार माह छोड़ दी जाए तो बढ़ते हुए क्रम पाई गई है। इस लिए गोरखपुर को प्रदेश का 17 नान अटेनमेंट सिटी के रूप में चयनित किया गया है। नान अटेनमेंट सिटी का तात्पर्य उन शहरों से है, जहां वायु प्रदूषण को लेकर सुधार की आवश्यकता है।
दो दिन पूर्व हो चुका है मंथन
वायु प्रदूषण गुणवत्ता को लेकर दो दिन पूर्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक हो चुकी है। इसमें 14 विभागों को शामिल किया गया है। 14 विभाग अपने-अपने स्तर से सुझाव व जानकारी देंगे। उस आधार पर प्लान तैयार किया जाएगा कि कैसे यहां की वायु गुणवत्ता को और शुद्ध किया जाए।
जानिए किस तरह की जानकारियां देंगे विभाग
इसमें संभागीय परिवहन विभाग जानकारी देगा कि जिले में कितने वाहन मौजूद हैं। इसमें कितने वाहन डीजल से चलने वाले हैं और कितने पेट्रोल से है। इसके अलावा सीएनजी व बैट्री से चलने वाले कितने वाहन मौजूद हैं। वाहनों का माडेल कौन सा है। क्या तकनीक अपनाकर एयर क्वालिटी को और बेहतर किया जा सकता है। इसके अलावा जीडीए, नगर निगम, वन विभाग, पुलिस, उद्योग आदि विभाग मिल बताएंगे कि वायु प्रदूषण का स्रोत क्या है। इसमें शहरों में जाम की समस्या आदि को शामिल किया जाएगा। निर्माण कार्य को लेकर सुझाव शामिल किया जा सकता है कि पानी का छिड़काव करके डस्ट पार्टिकिल को रोका जा सकता है। ऐसे तमाम सुझाव शामिल हो सकते हैं।
कृषि विभाग देगा पराली जलने की जानकारी
इसमें कृषि विभाग पराली जलाने की जानकारी देगा। वह बताएगा कि जिले कहां-कहां कितनी पराली जलाई गई है। इससे बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पंकज कुमार का कहना है कि प्रदेश में 16 नान अटेनमेंट सिटी पहले थे। कुछ दिन पूर्व गोरखपुर 17वें नान अटेनमेंट सिटी के रूप में शामिल हुआ है। विकास के साथ-साथ शहर में प्रदूषण की भी समस्या बढ़ी है। किसी भी स्थिति में विकास को रोका नहीं जा सकता है। ऐसे में यह देखा जाएगा कि क्या अपनाकर वायु प्रदूषण में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए 14 विभागों से सप्ताह भर के भीतर सुझाव मांगा गया है। यह सुझाव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भेजा जाएगा। फिर वहां से एक एक्शन प्लान तैयार होगा।