अराजकता : गो-आश्रय केंद्र से चार गो-वंश लाद ले गए तस्कर SantKabir Nagar News
संतकबीर नगर में गो-आश्रय केंद्र से तस्कर चार गोवंशीय वाहन पर लाद ले गए। तस्करों को जब केंद्र पर काम करने वाले घेराऊ और राममिलन ने रोका तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
संतकबीर नगर, जेएनएन। संतकबीर नगर के बेलहर थाना क्षेत्र के भेलाखर्ग गोआश्रय केंद्र से तस्कर चार गोवंशीय वाहन पर लाद ले गए। तस्करों को जब केंद्र पर काम करने वाले घेराऊ और राममिलन ने रोका तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी। तस्करों से डरकर दोनों भागकर गांव में पहुंचे और हल्ला मचाया। जब तक ग्रामीण मौके पर पहुंचे तस्कर जा चुके थे। रात में ही इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई, लेकिन अभी तक मामला दर्ज नहीं हुआ है।
एक माह पहले भी गायब हुए थे तीन पशु
भेलाखर्ग के प्रधान प्रतिनिधि चौथी प्रसाद ने बताया कि गोशाला से एक माह पहले भी तीन पशु गायब हो गए थे। इसे लेकर हो-हल्ला भी मचा। जिले के अधिकारियों ने भी बयान जारी करके पशुओं के सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध करवाने की बात कही। उन्होंने बताया कि गुरुवार को वह ग्रामीणों के साथ थाने जाकर ग्राम प्रधान बेलावती देवी की तरफ से तहरीर दे दिया है। इस बारे में प्रभारी थानेदार धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। पुलिस मौके पर गई थी। तस्करों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
पशुवध की आशंका को मिल रहा बल
गोआश्रय केंद्रों से पशुओं को गायब किए जाने से इनके वध की आशंका को बल मिल रहा है। लोगों का कहना है कि इन केंद्रों पर अनुपयोगी पशु ही रखे जा रहे हैं। ऐसे में इनको गायब करने के पीछे पालने का मकसद होना समझ से परे है।
गोआश्रय केंद्र से पशुओं को उठाने की जानकारी मिली है। संबंधित थानेदार को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है। मामला गंभीर है। दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। - रवीश गुप्त, जिलाधिकारी
बीमार और कमजोर गोवंश के गायब होने पर उठे सवाल
पशुओं की श्रेणी में शुमार किए जाने वाले पशुओं को देखा जाय तो इन्हें कमजोर और बीमार पशु भी कहा जा सकता है। बैल आधारित खेती का प्रचलन समाप्त होने के बाद गोवंशी को कोई पूछने वाला नहीं है। खेतों में घुसने पर लाठियों का प्रहार सहने के बाद दिनभर बाजारों में कचरे के बीच पड़े अनाज के अंश से भूख मिटाते दिखते हैं। ऐसे में गोआश्रय केंद्र से इन्हें भी गायब करने के पीछे छिपी मंशा एक बड़ा सवाल बन रही है। गो-आश्रय केंद्रों में रखे गए पशुओं के लिए सिर्फ सूखा भूसा और पानी ही एकमात्र सहारा है।