गैंगस्‍टर के मामले में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की फार्च्‍यूनर कुर्क

देवरिया के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव की फार्च्‍यूनर गैंगस्टर के मामले में कोतवाली पुलिस ने कुर्क कर लिया। गैंगस्टर के मामले में अमेठी गांव निवासी रामप्रवेश यादव 16 करोड़ रुपये की संपत्ति 19 सितंबर 2020 को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने कुर्क किया था।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:30 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 11:30 AM (IST)
गैंगस्‍टर के मामले में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की फार्च्‍यूनर कुर्क
कुर्क की गई पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की फार्च्‍यूनर के साथ पुलिस टीम। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : देवरिया के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव की फार्च्‍यूनर गैंगस्टर के मामले में कोतवाली पुलिस ने कुर्क कर लिया। यह कार्रवाई कोतवाली पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर किया है। गैंगस्टर के मामले में अमेठी गांव निवासी रामप्रवेश यादव 16 करोड़ रुपये की संपत्ति 19 सितंबर 2020 को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने कुर्क किया था। जिसमें मकान, पोल्ट्री फार्म, ईंट भट्ठा समेत अन्य सामान भी था। उसी समय के आदेश में शामिल जिला पंचायत अध्यक्ष की फार्च्‍यूनर अभी कुर्क नहीं हो सकी थी। कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक विपिन मलिक ने फार्च्‍यूनर को रविंद्र किशोर शाही स्पोर्टस स्टेडियम के समीप से पकड़ लिया। कोतवाली लाकर कुर्क कर लिया।

इस मामले में हुई यह कार्रवाई

यादव पर वर्ष 2018 में देवरिया खास निवासी दीपक मणि त्रिपाठी का अपहरण कर जमीन बैनामा कराने का मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया था। बाद में कोर्ट के आदेश पर जमानत मिल गई। उसके बाद गैंगस्टर की कार्रवाई की गई, जिसकी विवेचना रामपुर कारखाना थाने से की गई। गैंगस्टर के मामले में ही यह कार्रवाई की गई है।

डीआइजी जेल पहुंचे जिला जेल, वीडियो वायरल के मामले की जांच की

जिला कारागार से बंदी के मोबाइल पर बात करने का वीडियो वायरल होने के बाद शासन स्तर से पूछताछ शुरू हो गई है। मामला गंभीर होता देख डीआइजी जेल डा. रामधनी देवरिया जिला जेल पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली। तीन घंटे तक डीआइजी कारागार में ही जमे रहे। एक दिन पूर्व जेल के एक बैरक में बंदी के मोबाइल पर बात करने का वीडियो वायरल हुआ। तलाशी में दो मोबाइलें बरामद की गई है। डीआइजी जेल कारागार पहुंचे और जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी तथा जेलर जेपी त्रिपाठी से घंटों बातचीत की। इसके बाद वह बैरक संख्या 17 पहुंचे और बंदी रतन तथा शिट्टू से पूछताछ की। हालांकि बंदी डीआइजी के सवालों का जवाब देने से कतराते रहे। माना जा रहा है कि इस मामले में कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

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