छोटे उद्यमियों की सुविधा के लिए मंडलीय फैसिलिटेशन काउंसिल का गठन, समस्याओं का होगा निराकरण

एमएसएमई के सामने भुगतान से जुड़ी समस्या आम होती है। भुगतान फंसा होने के कारण क्रियाशील पूंजी पर भी असर पड़ता है। इन्हीं समस्याओं के निराकरण के लिए गठित इस कमेटी का अध्यक्ष मंडलायुक्त को बनाया गया है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 04:29 PM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 04:29 PM (IST)
छोटे उद्यमियों की सुविधा के लिए मंडलीय फैसिलिटेशन काउंसिल का गठन, समस्याओं का होगा निराकरण
लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष दीपक कारीवाल का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंडलीय फैसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया गया है। इससे उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण में आसानी होगी। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए उद्यमियों को शासन में जाने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।

एमएसएमई के सामने भुगतान से जुड़ी समस्या आम होती है। भुगतान फंसा होने के कारण क्रियाशील पूंजी पर भी असर पड़ता है।  इन्हीं समस्याओं के निराकरण के लिए गठित इस कमेटी का अध्यक्ष मंडलायुक्त को बनाया गया है। संयुक्त आयुक्त उद्योग आशुतोष त्रिपाठी इसके सचिव हैं। उद्यमियों की संस्था लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधि को इसका सदस्य बनाया गया है। इसमें जिले के लीड बैंक मैनेजर को भी शामिल किया गया है।

यह मिलेगी सुविधा

इस तरह की काउंसिल अबतक कानपुर में काम करती थी। इसे एमएसएमई विकास अधिनियम 2006 के तहत शक्तियां प्राप्त हैं। काउंसिल बकाए भुगतान की वसूली के लिए जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से वसूली प्रमाण पत्र जारी करा सकती है। काउंसिल द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्रों को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा भू राजस्व बकाए के रूप में वसूल किया जाएगा। वसूली व्यय निकालकर शेष धनराशि काउंसिल को उपलब्ध करा दी जाएगी। संयुक्त आयुक्त उद्योग के कार्यालय में इस संबंध में एक रजिस्टर रखा जाएगा।

व्‍यापारियों को अब होगी सुविधा

यहां फैसिलिटेशन काउंसिल को प्राप्त होने वाले सभी प्रार्थना पत्रों का विवरण दर्ज किया जाएगा। प्रार्थना पत्र प्राप्त हेने पर दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए मंडलायुक्त द्वारा तिथि दी जाएगी। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष दीपक कारीवाल ने बताया कि व्यापारी किसी उद्यमी का पैसा रोक लेता था तो उसे अपना उद्योग चलाने में दिक्कत आती थी। भुगतान रुकने से पूंजी फंस जाती है। उद्यमी के पास कोर्ट जाने के अलावा कोई उपाय नहीं होता था। कोर्ट से निर्णय आने में देर हो जाती थी। अब फैसिलिटेशन काउंसिल बना दिए जाने से बहुत सुविधा होगी।

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