वन माफिया जैसराम का सरुआ ताल में मछली पकडऩे का ठीका निरस्त
वन माफिया जैसराम ने मत्स्य जीवी सहकारी समिति ककटही का गठन कर खुद को सचिव के पद पर मनोनीत करा लिया था। समिति के बैनर तले ही उसने सरुआ ताल में मछली पालने और पकडऩे का ठीका ले रखा था।
गोरखपुर, जेएनएन। वन माफिया जैसराम निषाद की संपत्ति कुर्क होने के बाद मत्स्य जीवी सहकारी संघ लिमिटेड, लखनऊ ने कैंपियरगंज इलाके में स्थित सरुआ ताल में मछली पकडऩे का उसका ठीका भी निरस्त कर दिया है। प्रबंध निदेशक अंजना वर्मा के ठीका निरस्त करने के आदेश के बाद कैंपियरगंज पुलिस ने वन माफिया को ताल से मछली पकडऩे पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
वन माफिया जैसराम ने मत्स्य जीवी सहकारी समिति ककटही का गठन कर खुद को सचिव के पद पर मनोनीत करा लिया था। समिति के बैनर तले ही उसने सरुआ ताल में मछली पालने और पकडऩे का ठीका ले रखा था। कैंपियरगंज थानेदार नवीन सिंह ने बताया कि आदेश के बाद उपजिलाधिकारी कैंपियरगंज ने ताल से मछली पकडऩे पर रोक लगा दी है।
इस ताल में छिपाता था लकड़ी
सरुआताल का बड़ा हिस्सा कैंपियरगंज जंगल में फैला हुआ है। बरसात के दिनों में जंगल का काफी हिस्सा पानी में डूब जाता है। इस दौरान वन माफिया मछली पकडऩे की आड़ में पेड़ काटकर साखू और सागौन के बोटे ताल के पानी में छिपा देता था। बाद में उन्हें बेच देता था। गोरखपुर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी के निर्देश पर पिछले दिनों ताल से बड़ी संख्या में साखू और सागौन के बोटे बरामद किए गए थे। प्रभागीय वनाधिकारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसी आधार पर जिलाधिकारी ने मत्स्य जीवी सहकारी संघ लिमिटेड, लखनऊ को सरुआ ताल का पट्टा निरस्त करने के लिए पत्र लिखा था। बताते हैं कि प्रबंध निदेशक ने 28 सितंबर को ही ताल का ठीका निरस्त कर दिया था, लेकिन आदेश का अनुपालन अब कराया गया है।