गोरखपुर में यूरिया बनने से विदेशी मुद्रा की होगी बचत, हर साल बचेंगे 75 अरब रुपये

हिन्‍दुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड के खाद कारखाना में बनी नीम कोटेड यूरिया से न सिर्फ खेतों में हरियाली आएगी और किसानों की खुशहाली बढ़ेगी वरन भारत सरकार को भी काफी फायदा होगा। हर साल तकरीबन 47 अरब रुपये की विदेशी मुद्रा की भारत सरकार को बचत होगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 12:33 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 07:47 AM (IST)
गोरखपुर में यूरिया बनने से विदेशी मुद्रा की होगी बचत, हर साल बचेंगे 75 अरब रुपये
गोरखपुर खाद कारखाना से उत्‍पादन शुरू हो गया है। - जागरण

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। हिन्‍दुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में बनी नीम कोटेड यूरिया से न सिर्फ खेतों में हरियाली आएगी और किसानों की खुशहाली बढ़ेगी वरन भारत सरकार को भी काफी फायदा होगा। हर साल तकरीबन 47 अरब रुपये की विदेशी मुद्रा की भारत सरकार को बचत होगी। यूरिया ले आने का खर्च अलग से बचेगा।

रोजाना 3850 टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा

खाद कारखाना में रोजाना 3850 टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। यानी हर साल 12.7 लाख टन यूरिया खाद कारखाना में तैयार होगी। इस यूरिया को बनाने में एचयूआरएल प्रति किलोग्राम 28 रुपये खर्च करेगा। एचयूआरएल किसानों को 266.5 रुपये प्रति बोरी (एक बोरी में 45 किलोग्राम) यूरिया देगा। यानी किसान को प्रति किलोग्राम 5.92 रुपये की यूरिया मिलेगी। एचयूआरएल के हिसाब से किसानों को प्रति किलोग्राम 22.08 रुपये कम में यूरिया मिलेगी।

विदेश से 65 रुपये प्रति किलोग्राम यूरिया का होता है उत्पादन

विदेश से नीम कोटेड यूरिया इस समय तकरीबन 65 रुपये प्रति किलोग्राम की खरीदी जाती है। इसके बाद यूरिया को अलग-अलग जिलों में पहुंचाने का खर्च अलग से लगता है। विदेश से आने वाली यूरिया की प्रति किलोग्राम कीमत 65 रुपये रखी जाए और एचयूआरएल की प्रति किलोग्राम 28 रुपये में तैयार नीम कोटेड यूरिया से इसे घटाया जाए तो भारत सरकार को 37 रुपये प्रति किलोग्राम की बचत होगी। यानी साल में 47 अरब रुपये की भारत सरकार को बचत होगी।

एचयूआरएल को सब्सिडी देगी सरकार

खाद कारखाना में 28 रुपये प्रति किलोग्राम में तैयार होने वाली नीम कोटेड यूरिया किसानों को 5.92 रुपये में मिलेगी। यानी भारत सरकार एचयूआरएल को हर साल सब्सिडी के रूप में 28 अरब रुपये से ज्यादा देगी। अफसरों का मानना है कि जैसे-जैसे एचयूआरएल का ऋण कम होगा, नीम कोटेड यूरिया की निर्माण लागत भी कम होती जाएगी। इससे सरकार को सब्सिडी भी कम देनी पड़ेगी।

किसानों पर 75 अरब खर्च बचेगा

यदि किसानों को विदेश से आने वाली 65 किलोग्राम के दर से यूरिया खरीदना पड़ती तो उन्हें प्रति किलोग्राम 59.08 रुपये ज्यादा (एचयूआरएल की यूरिया प्रति किलोग्राम 5.92 रुपये है) देने पड़ते। इस हिसाब से 12.7 लाख टन यूरिया के एवज में किसानों को 75 अरब रुपये ज्यादा खर्च करने पड़ते। सरकार को अब यह रुपये नहीं खर्च करने पड़ेंगे।

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