Corona Warrior: मरीजों के इलाज के लिए टाल दी अपनी शादी, BRD के कोविड वार्ड में संभाला मोर्चा
Corona Warrior बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग की जूनियर डाक्टर हर्षिता द्विवेदी ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अपनी शादी टाल दी। गत 30 अप्रैल को उनका विवाह तय था। लेकिन उन्होंने मरीजों के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से जंग तो सभी डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मी लड़ रहे हैं। लेकिन उनमें भी बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग की जूनियर डाक्टर हर्षिता द्विवेदी विशेष हैं। उन्होंने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अपनी शादी टाल दी। गत 30 अप्रैल को उनका विवाह तय था। लेकिन सामने आए कोरोना संकट के चलते उन्होंने मरीजों के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी और कालेज के कोविड वार्ड में जाकर मोर्चा संभाल लिया।
डा. हर्षिता गोरखपुर गोला विकास खंड के पूर्व ब्लाक प्रमुख डा. विजयानंद तिवारी की पौत्री व व्यापारी संतकुमार धर द्विवेदी की पुत्री हैं। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई मेयो इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस से की है। परिवार के लोग चाहते थे कि उनकी तय समय पर शादी हो जाए लेकिन डा. हर्षिता इसके लिए तैयार नहीं हुईं, उन्होंने कोविड वार्ड में ड्यूटी को प्राथमिकता दी।
उन्होंने कहा कि इस समय लोगों की खुशियां दांव पर लगी हैं। ऐसे समय एक डाक्टर होने के कारण मरीजों की सेवा की जिम्मेदारी मेरे लिए प्रमुख है। जब तक कोरोना पीड़ित लोग ठीक होकर अपने घर वापस नहीं जाते, मुझे भी किसी तरह की खुशी मनाने के कोई हक नहीं है। इसलिए शादी की जगह मैंने मरीजों का इलाज करना तय किया। शादी तो कभी हो सकती है पर किसी की जिंदगी चली जाएगी तो दोबारा नहीं मिलेगी। हम डाक्टर अगर अपनी खुशियां देखने में लग जाएंगे तो पीड़ित मरीजों का इलाज कौन करेगा। फिर तो हमारी धरती के भगवान वाली छवि धूमिल होगी, जो मुझे अपने धर्म से जोड़ती है।
कोरोना से जीती जंग, सतर्कता से दूसरे सदस्यों को भी बचाया
किसी भी परिवार में एकजुटता हो तो कोई भी मुसीबत ज्यादा देर नहीं ठहर पाती। चाहे वह कोरोना ही क्यों न हो। कुछ इसी तरह से एक परिवार के सदस्यों के बीच साकारात्मक सोच, कोरोना गाइडलाइन का पालन व एक-दूजे की फिक्र कोरोना पर भारी पड़ी। सोलह सदस्यों के संयुक्त परिवार में संक्रमित चार लोगों ने हाेम आइसोलेशन में रहकर न सिर्फ कोरोना से जंग जीती बल्कि परिवार के अन्य 12 सदस्यों को भी सतर्कता व जागरूकता से संक्रमित होने से बचा लिया।
घोष कंपाउंड बशारतपुर के 75 वर्षीय प्रो. एचएन सिंह के चार बेटे हैं। इनमें से दो बेटे शिक्षक नवीन सिंह व उनकी पत्नी रीना सिंह, बड़ी बहू मधुलिका सिंह तथा छोटे बेटे डा. डीके सिंह जो राजकीय जुबिली इंटर कालेज में प्रवक्ता को चार दिन के अंदर 20 अप्रैल को कोरोना हो गया। संक्रमित होने के बाद सभी ने खुद को अलग-अलग कमरों में क्वारंटाइन कर लिया। इस दौरान बिना परेशान हुए सभी एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए घर से ही अपना इलाज करने लगे।
जब बेटे और बहू कोरोना की जद में आए तो परिवार का मुखिया होने के नाते पिता प्रो.एचएन सिंह पल-पल उनका हालचाल लेना और हौसला बढ़ाना किसी भी दिन नहीं भूलते थे। दवा समय से खिलाने से लगाए उन्हें पाैष्टिक चीजों के सेवन करने के लिए बार-बार टोकना ठीक होने के बाद भी बेटे याद करते हैं। डा.डीके सिंह बताते हैं कि करीब 15 दिन अलग कमरों में रहना बहुत कठिन काम है, लेकिन इस दौरान हमने धैर्य व आत्मसंयम बनाए रखा।
सुबह-शाम योग व व्यायाम तो रात का समय भजन-कीर्तन में गुजरता था। समय-समय पर काढ़ा का सेवन करना व भांप लेना नहीं भूलने थे। पूरी कोशिश रहती कि कहीं से भी घर के और सदस्य इस बीमारी के चपेट में ना आएं। इसलिए सभी सदस्यों ने पूरी सतर्कता बरती। यही वजह रही की चार लोगों के अलावा अन्य किसी को बीमारी छू तक नहीं पाई और इस तरह से हमने हंसते-हंसते कोरोना को विदाई दी।