चार सौ वर्ष से समरसता का प्रतीक है कुशीनगर का राम जानकी मठ

कुशीनगर के कसया स्थित रामजानकी मठ चार सौ वर्ष से समरसता का प्रतीक बना हुआ है। मंदिर द्वारा गोसंरक्षण और धर्मार्थ चिकित्सालय भी संचालित किया जाता है। दो दर्जन से अधिक गायें संरक्षित हैं तो माह में 300 से अधिक लोगों को चिकित्सकीय लाभ मिलता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:05 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:05 AM (IST)
चार सौ वर्ष से समरसता का प्रतीक है कुशीनगर का राम जानकी मठ
कुशीनगर के कसया स्थित रामजानकी मठ। - जागरण

कुशीनगर, अजय कुमार शुक्ल। लगभग 400 वर्षों से कसया स्थित रामजानकी मठ समरसता का प्रतीक बना हुआ है। अवधी शैली मेें बने यहां के राम-जानकी मंदिर को समय-समय पर विस्तार देकर भव्य स्वरूप दिया गया है। मंदिर द्वारा गोसंरक्षण और धर्मार्थ चिकित्सालय भी संचालित किया जाता है। दो दर्जन से अधिक गायें संरक्षित हैं तो माह में 300 से अधिक लोगों को चिकित्सकीय लाभ मिलता है। वर्षा जल संचयन के लिए दस कट़ठे में पोखरे की खोदाई भी हो रही है। निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह हर साल किया जाता है। 

प्रति वर्ष होता है श्रीराम महायज्ञ

प्रति वर्ष वसंत पंचमी के अवसर पर श्रीराम महायज्ञ का आयोजन होता है, लाखों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। दलित, मुस्लिम, पिछड़ी सहित हर वर्ग के लोग किसी न किसी रूप में अपनी सहभागिता दर्ज कराते हैं, तब समाजिक समरसता का भव्य रूप पूरी तरह से सामने आता है। इस मंदिर को अयोध्या के कनक भवन की प्रतिकृति माना जाता है। मंदिर के विग्रह कितने पुराने हैं, किसी को नहीं पता। महंत त्रिभुवन नारायण शरण बताते हैं कि जब नया भवन बना, तब मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी।

मोरारी बापू, विजय कौशल आ चुके हैं यहां

प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू, विजय कौशल, अतुल कृष्ण भारद्वाज, विश्वेष प्रपन्नाचार्य, राधेश्याम शास्त्री आदि यहां शीश नवा चुके हैं। मंदिर परिसर में विशेष पुष्प वाटिका है। यहीं के फूल मंदिर में चढ़ते हैं। इसको नियमित लाने की जिम्मेदारी माली समाज के हरिराम की है। 

रामराज्य की सामाजिक समरसता की संकल्पना साकार कर रहा यह मंदिर
दरअसल, मंदिर में केवल राम नाम का संकीर्तन ही नहीं होता, बल्कि रामराज्य की सामाजिक समरसता की संकल्पना भी साकार होती है। बांसफोड़ समाज के मंगल दो दशक से मंदिर में पूजा करने जाते हैं तो यहां के छोटे बड़े सभी आयोजनों में कोई न कोई जिम्मेदारी जरूर संभालते हैं। 
साबिर अली संभालते हैं रामयज्ञ में पंडाल की व्यवस्था
साबिर अली यहां होने वाले रामयज्ञ में पंडाल की व्यवस्था संभालते हैंं। बाल्मीकि समाज के रमेश, बिनोद, गीता, प्रभावती आदि नित्य प्रति मंदिर पहुंचकर पूजन के बाद मंदिर की साफ सफाई में अपना योगदान सुनिश्चित करते हैं। मुख्य पुजारी के साथ जो अन्य पांच सहायक पुजारी पूजा कराते हैं उसमें यादव, पाल, जायसवाल, ब्राहम्ण बिरादरी के हैं। योग और सामाजिक गतिविधियों का भी केंद्र भी यह मंदिर है। यहां रोज सुबह निश्शुल्क योग सिखाया जाता है। सामाजिक संस्थाएं इस छत के नीचे रहकर अपने सामाजिक गतिविधियों को संचालित करती हैं।
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