गोरखपुर में बाढ़ का खतरा गहराया- सरयू नदी खतरे के निशान से ऊपर, राप्ती भी उफनाई Gorakhpur News
गोरखपुर में बाढ़ का खतरा गहरा गया है। सरयू नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। राप्ती नदी भी उफान पर है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर में कोरोना के साथ ही बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। सरयू (घाघरा) नदी खतरे के निशान को पार कर गई। राप्ती एवं रोहिन नदियां अभी खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं, लेकिन चढ़ाव लगातार जारी है। जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अयोध्या पुल के पास खतरे का निशान 92.73 मीटर है, जबकि नदी का जलस्तर 92.75 मीटर था। इसी तरह तुर्तीपार में खतरे का निशान 64.01 मीटर है और जलस्तर 64.13 मीटर पर पहुंच गया है। बर्डघाट में राप्ती नदी 74.04 मीटर पर बह रही है, यहां खतरे का निशान 74.98 मीटर है। रोहिन नदी का जलस्तर त्रिमुहानी घाट में 81.37 मीटर दर्ज किया गया जबकि खतरे का निशान 82.44 मीटर है।
उपजिलाधिकारियों ने किया दौरा
नदियों का जलस्तर बढ़ने के साथ ही जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन ने सभी तहसीलों को सक्रिय रहने को कहा है। उपजिलाधिकारियों ने शनिवार को अपने क्षेत्रों में दौरा भी किया। चौरीचौरा में एसडीएम ने कई स्थानों का निरीक्षण किया और झंगहा थाने पर प्रधानों, क्षेत्र के संभ्रांत लोगों व तहसील कर्मियों के साथ बैठक कर सुरक्षा के उपायों पर चर्चा की। कैंपियरगंज के उपजिलाधिकारी ने 14 राहत शिविरों के बारे में जानकारी ली। मार्ग चिन्हीकरण के साथ मॉडल राहत शिविरों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तैनाती भी की।
86 बाढ़ चौकियां सक्रिय
जिले में 86 बाढ़ चौकियां सक्रिय हैं। यहां राजस्व, सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के साथ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। बाढ़ बचाव के उपकरण भी यहां मौजूद हैं। आवागमन बाधित, सहजनवां के ग्राम चकचोहरा में लगी दो नाव: सहजनवां तहसील के ग्राम चकचोहरा में आमी नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण आवागमन बाधित हो गया है। लोगों की सुविधा के लिए प्रशासन ने यहां दो नाव लगवाई है।
सरयू नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। अन्य नदियों के जलस्तर में भी चढ़ाव जारी है। बाढ़ बचाव के लिए उपाय किए गए हैं। 86 बाढ़ चौकियां सक्रिय हैं। एसडीएम दौरा कर रहे हैं। सहजनवां क्षेत्र के एक गांव में नाव लगाई गई है। - राजेश सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व।
राप्ती नदी में बढ़ा पानी, चार रेग्युलेटर बंद कराए गए
राप्ती नदी में पानी बढऩे के साथ ही शहर किनारे इलाहीबाग, डोमिनमढ़ और बसियाडीह में स्थापित रेग्युलेटर बंद करा दिए गए हैं। कटनिया रेग्युलेटर पहले से बंद है। शहर का पानी राप्ती नदी में पहुंचाने के लिए बाहरी हिस्से में बने बांध पर 11 रेग्युलेटर बनाए गए हैं। सामान्य दिनों में इन रेग्युलेटर के रास्ते शहर का पानी निकल जाता है, लेकिन जब राप्ती नदी में पानी बढ़ता है तो रेग्युलेटर बंद कर दिए जाते हैं। यदि रेग्युलेटर न बंद किए जाएं तो राप्ती नदी का पानी शहर में आने लगेगा। रेग्युलेटर बंद करने के बाद शहर का पानी पंपिंग सेट के माध्यम से राप्ती नदी में डाला जाता है। शनिवार को नगर निगम की चीफ इंजीनियर सुरेश चंद ने रेग्युलेटरों और पंपिंग स्टेशनों का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इलाहीबाग और डोमिनगढ़ और बसियाडीह के रेग्युलेटर सिंचाई विभाग ने बंद करा दिए हैं। सभी जगह पंपिंग स्टेशन ठीक से काम करते मिले हैं।