मछली पालन से बच्चों की पढ़ाई व परिवार की चलाती हैं जीविका Gorakhpur News
मछली पालन के छोटे कारोबार से गीता देवी अपने परिवार का बड़ा सहारा बनकर उभरी हैं। उनके बड़े पुत्र नवदीप व संदीप स्नातक तृतीय वर्ष के छात्र हैं। छोटा नवनीत 11वीं का छात्र है। मछली पालन से होने वाली आय से बच्चों की पढ़ाई हो रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। ब्रह्मपुर विकास खंड के ग्राम कोल्हुआ की 45 वर्षीया गीता देवी के पुत्रों को कभी मछली पालन का शौक था। बचपन में वह तालाब से छोटी मछली ले आते और उसे घर के पास में एक छोटा गड्ढा खोदकर पालते। मछलियों को बड़ा होता देख बच्चे उत्साहित होते। बच्चों का यह खेल आज गीता के लिए लाख टके का हो गया है। वह मछली पालन के जरिये परिवार की जीविका चलाती हैं। बच्चों की पढ़ाई का फीस भरती हैं।
मछली पालन के छोटे कारोबार से गीता देवी अपने परिवार का बड़ा सहारा बनकर उभरी हैं। उनके बड़े पुत्र नवदीप व संदीप स्नातक तृतीय वर्ष के छात्र हैं। छोटा नवनीत 11वीं का छात्र है। मछली पालन से होने वाली आय से गीता तीनों बच्चों के स्कूल की फीस व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर खर्च करती हैं। गीता बताती हैं कि उनके पति जवाहर पेशे से डाक्टर हैं, लेकिन गांव के चौराहे पर मरीजों की संख्या इतनी नहीं रहती है कि परिवार का खर्च सुचारू रूप से चल सके। ऐसे में वह पिछले तीन वर्षों से मछली पालन कर रही है। इसके जरिये वह प्रति वर्ष डेढ़ से दो लाख रुपये अर्जित कर परिवार के खर्च में सहयोग देती हैं।
ऐसे करती हैं मछली पालन
गीता बताती हैं कि मछली पालन का कार्य कोई बहुत कठिन नहीं है। वह कहती हैं कि घरेलू कार्यों के साथ-साथ महिलाएं इसे आसानी से कर सकती हैं। उन्होंने घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक बीघे से कम रकबे में तालाब खोदवा दिया। उसमें मछली पालन करने लगीं। दो से तीन दिनों में वह तालाब में पानी व मछलियों की स्थिति देख लेती हैं।
इन्हें मिली प्ररेणा
गीता से प्रेरित होकर उनके गांव की संगीता भेड़ पालन करती हैं। ज्ञानमती पिकअप चलवा कर परिवार को आर्थिक सहयोग दे रही हैं। कांति मुर्गी पालन से जुड़ी हैं। गीता सटरिंग का कार्य करती हैं।