सावधानी से डालें धान की नर्सरी, बढ़ेगी उपज
किसान सावधानी पूर्वक धान की नर्सरी डालें। नर्सरी डालने से पहले किसानों को बीजों का उपचार करना चाहिए। इससे न केवल फसल को रोगों से बचाया जा सकता है बल्कि ज्यादा उत्पादन भी पाया जा सकता है।
सिद्धार्थनगर : किसान सावधानी पूर्वक धान की नर्सरी डालें। नर्सरी डालने से पहले किसानों को बीजों का उपचार करना चाहिए। इससे न केवल फसल को रोगों से बचाया जा सकता है, बल्कि ज्यादा उत्पादन भी पाया जा सकता है।
बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है। जिससे बीज जमीन मे सुरक्षित रहते हैं। क्योंकि बीजोपचार रसायन बीज के चारों और रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है, जिससे बीज की बोआई ऐसे जीवों से दूर रहती है। बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है और उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है। बीज पर कवकों का प्रभाव बहुत अधिक होता है तो भंडारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।
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धान की किस्मों का करें चयन
जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा-169, नरेंद्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065 और मध्यम पकने वाली किस्मों में पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेंद्र -359, नरेंद्र -2064, नरेंद्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख धान की किस्में हैं।
धान की नर्सरी डालने से पहले करें भूमि शोधन
ट्राइकोडर्मा, विवेरिया वैसियाना, सूडोमोनास इनमें से कोई एक किसान धान की नर्सरी डालने से पहले भूमि शोधन करें, इससे धान की फसल में रोगों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक सीमित कर सकते हैं। ऐसे करें बीजोपचार
पानी में नमक का दो प्रतिशत का घोल तैयार करें, इसके लिए 20 ग्राम नमक को एक लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाएं। इनमें बोआई के लिए काम में आने वाले बीजों को डालकर हिलाएं। जिससे हल्के व रोगी बीज इस घोल में तैरने लगते हैं। इन्हें निथार कर अलग कर दें और तली में बैठे बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाकर फिर फफूंदनाशक, कीटनाशक व जीवाणु कल्चर से उपचारित करके बोआई करें। बाविस्टीन दो-तीन ग्राम प्रति किग्रा या ट्राइकोडर्मा 7.5 ग्राम प्रति किग्रा. के साथ पीएसबी कल्चर छह ग्राम और एजेटोबैक्टर कल्चर छह ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित कर नम जूट बैग के ऊपर छाया में फैला देना चाहिए। क्या कहते हैं कृषि विज्ञानी
फसल सुरक्षा के कृषि विज्ञानी डा. प्रदीप कुमार का कहना है कि धान की नर्सरी डालने से पहले बीज का उपचार करना नितांत आवश्यक होता है। बीजोपचार करते समय सावधानियां भी बरतनी चाहिए। बीजों को पहले फफूंद नाशक दवा से उपचारित करना चाहिए, उसके बाद जैविक कल्चर से उपचार करना चाहिए, उपचारित बीज को तुरंत बोआई में प्रयोग करना चाहिए। दवा के खाली डिब्बे या पैकेट नष्ट कर देना चाहिए। किसान नर्सरी डालने से पहले इन बातों पर ध्यान देते हैं तो निश्चित ही फसल जहां रोगों से सुरक्षित रहेगी, वही उत्पादन भी काफी बेहतर होगा।