गोरखपुर में मरम्मत के बाद तैयार हुई पहली मेमू ट्रेन की रेक, परीक्षण के बाद होगा संचालन Gorakhpur news
इसमें यात्री सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हुए आरामदायक सीटें आधुनिक पंखे व लाइट की व्यवस्था की गई है। परीक्षण के बाद संचालन होगा। परीक्षण सफल हुआ तो आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर रेलवे ही नहीं दूसरे जोन की मेमू ट्रेनों की मरम्मत भी शुरू हो जाएगी।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर स्थित यांत्रिक कारखाने में ही पारंपरिक और लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच की तरह मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) ट्रेनों की रेक की भी मरम्मत हो जाएगी। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देश पर इंजीनियरों ने पहली रेक तैयार कर ली है। इसमें यात्री सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हुए आरामदायक सीटें, आधुनिक पंखे व लाइट की व्यवस्था की गई है। परीक्षण के बाद संचालन होगा। परीक्षण सफल हुआ, तो आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर रेलवे ही नहीं दूसरे जोन की मेमू ट्रेनों की मरम्मत भी शुरू हो जाएगी। फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने यहां एक वर्ष में मेमू ट्रेनों की 100 रेक की मरम्मत का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में कारखाने में पारंपरिक के अलावा एक माह में 22 लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोचों की मरम्मत की जा रही है। कंडम कोचों को न्यू माडिफाइड वैगन के रूप में परिवर्तित भी किया जा रहा है।
स्टेशन यार्ड में होगा परीक्षण
मेमू ट्रेनों के इंजन रेक से अलग नहीं होते। कोच में ही इंजन संबद्ध होते हैं। कारखाने में लाइन का अभी विद्युतीकरण नहीं हुआ है। ऐसे में मेमू ट्रेनों की रेक का परीक्षण कारखाने से बाहर रेलवे स्टेशन यार्ड के पूर्वी छोर पर होगा। इसके लिए रेल लाइन निर्धारित कर दी गई हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे के तीन रूटों पर चलती हैं मेमू ट्रेनें
पूर्वोत्तर रेलवे के तीन रूटों पर मेमू ट्रेनें चलती हैं। छपरा-बलिया-वाराणसी और बाराबंकी-लखनऊ जंक्शन मार्ग पर तीन-तीन तथा कानपुर अनवरगंज-कल्याणपुर मार्ग पर दो जोड़ी मेमू ट्रेनें चल रही हैं। आने वाले दिनों में पैसेंजर की जगह मेमू ट्रेनें ही चलाई जाएंगी। रेल लाइनों का विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है।
खडग़पुर में होती है मेमू ट्रेनों की मरम्मत
पूर्वोत्तर रेलवे का गोरखपुर पहला यांत्रिक कारखाना है, जहां मेमू ट्रेनों की रेक की भी मरम्मत शुरू हुई है। अब तक मरम्मत के लिए उन्हें दक्षिण पूर्व रेलवे के खडग़पुर कारखाने में भेजना पड़ता था। समय से मरम्मत नहीं होने के चलते मेमू ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो रहा था। प्रत्येक 18 माह पर रेक की मरम्मत अनिवार्य है।