Firaq Gorakhpuri Birthday Special: प्रेमचंद से शेरो-शायरी की बेहतरी के टिप्स लेते थे फिराक Gorakhpur News
पढ़ें विश्व प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी के जन्मदिवस पर विशेष रिपोर्ट।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर के समृद्ध साहित्यिक इतिहास की जब भी चर्चा होती है, दो नाम सबसे पहले जेहन में आते हैं कथा सम्राट मुंंशी प्रेमचंद और मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी। गोरखपुर प्रेमचंद की कार्यस्थली है, तो फिराक की जन्मस्थली। फिराक की जयंती वह मौका है जब हम उनके आपसी रिश्ते पर भी चर्चा कर सकते हैं। रिश्ते गहरे थे, इसलिए यह लाजिमी और प्रासंगिक दोनों है।
इतिहास के नजरिये से बात करेंं तो प्रेमचंद, फिराक से एक पीढ़ी पहले के साहित्यकार थे। फिराक के अधिवक्ता व शायर पिता गोरख प्रसाद 'इबरत के साथ उनका उठना-बैठना था। बात 1916 से 1920 के बीच की है। तुर्कमानपुर में इबरत का ठिकाना लक्ष्मी निवास उन दिनों साहित्यिक व राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होता था। प्रेमचंद, मजनू गोरखपुरी, गौहर गोरखपुरी, परमेश्वरी दयाल, एम. कोटियावी राही, मुग्गन बाबू, जोश मलीहाबादी, मन्नन द्विवेदी और शिब्बन लाल सक्सेना जैसे साहित्यकारों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का वहां अक्सर आना-जाना रहता था। उसी दौरान फिराक को प्रेमचंद का सानिध्य मिला। फिराक ने उन दिनों शेरो-शायरी में हाथ आजमाना शुरू किया था और प्रेमचंद उर्दू के स्थापित साहित्यकार हो चुके थे, सो फिराक उन्हें अपने शेर सुनाकर बेहतरी के टिप्स लेते थे। उनके रघुपति सहाय से फिराक गोरखपुरी बनने का किस्सा भी प्रेमचंद से ही जुड़ा है। दरअसल उन दिनों प्रेमचंद के पास एक पत्रिका आई, जिसमें उर्दू के मशहूर लेखक नासिर अली 'फिराकÓ का नाम छपा था। जब प्रेमचंद से वह पत्रिका लेकर उन्होंने पढ़ी, तो नासिर का फिराक तखल्लुस उन्हें भा गया और उसे अपना तखल्लुस बना लिया।
शेरो-शायरी को खजूर की बगिया से आम्रवाटिका में लाओ
फिराक गोरखपुरी की शायरी लेखन प्रतिभा से प्रेमचंद इस कदर प्रभावित हुए कि उन्हें उनमें 20वीं सदी के दूसरे दशक में ही भविष्य की संभावनाएं दिखने लगी थीं। मशहूर भोजपुरी साहित्यकार रवींद्र श्रीवास्तव जुगानी बताते हैं कि 90 के दशक में आकाशवाणी को दिए एक साक्षात्कार में फिराक ने खुद ही बताया था कि प्रेमचंद ने उन्हें शेरो-शायरी को खजूर की बगिया से आम्रवाटिका यानी पूर्वांचल में लाने का हौसला दिया था। उसी हौसले की बदौलत वह अदब की दुनिया में अपनी जगह बना पाए।