Fathers Day : बेटे विवेक की पढ़ाई के लिए रातभर दीया बनकर रोशनी देते थे पिता

Fathers Day पिता रमाशंकर ने बचपन से ही अपने बेटे की मेधा भांप ली। फिर क्या था उसके अनुसार उनकी शिक्षा-दीक्षा शुरू हुई। विवेक ने भी पढ़ाई में काफी मेहनत की और काफी लगन के कारण आइपीएस बन गए।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 09:10 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:10 PM (IST)
Fathers Day : बेटे विवेक की पढ़ाई के लिए रातभर दीया बनकर रोशनी देते थे पिता
आईपीएस में चयन होने पर बुके देकर बेटे का स्वागत करते पिता रमाशंकर व मां श्यामा देवी। सौ. स्वयं

गोरखपुर, जेएनएन : हर पिता यह चाहता है कि उसका बेटा जीवन में बुलंदियां हासिल करे, इसके लिए वह अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। कुछ इसी तरह शहर के पादरी बाजार के जंगल हकीम नंबर दो मोहनापुर निवासी किसान रमाशंकर यादव ने भी अपने इकलौते बेटे विवेक को जिंदगी की बुलंदियों तक पहुंचाने में अपने सुख की कुर्बानी दे दी। इसी की देन है कि आज विवेक आइपीएस हैं। वह कहते हैं कि यदि पिता नहीं होते तो वह अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। पिता की मेहनत और विश्वास का नतीजा है कि मैं कामयाबी के इस शिखर पर हूं।

बचपन में ही भांप ली बेटे की मेधा

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इसी तरह पिता रमाशंकर ने बचपन से ही अपने बेटे की मेधा भांप ली। फिर क्या था उसके अनुसार उनकी शिक्षा-दीक्षा शुरू हुई। विवेक की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो पिता किसान तो मां श्यामा देवी आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं। इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई सेंट मेरी स्कूल पादरी बाजार से करने के बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और इस तरह 2019 बैच में उनका आइपीएस में चयन हो गया। पिता को जैसे ही उनकी सफलता की खबर मिली उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। मानो सारे जहां की खुशियां उन्हें मिल गई हों।

बेटे की पढ़ाई के लिए रातभर जागते थे पिता

आइपीएस विवेक चंद्र यादव के पिता रमाशंकर यादव बताते हैं कि हर पिता की इच्छा होती है उसका बेटा आगे बढ़े। चूंकि मैं किसान था, इसलिए मेरे सामने और भी बड़ा संकट था, क्योंकि मेरे पास वह संसाधन नहीं थे जो होने चाहिए। सीमित संसाधन के बावजूद मैंने हार नहीं मानी और बेटे को पूरी ईमानदारी से पढ़ाया। बेटे ने भी मेरे संघर्ष को समझा, उस मुकाम पर पहुंचकर दिखाया जहां उसका पहुंचाना मेरी तमन्ना थी। वे बताते हैं कि तैयारी के दौरान कई बार बेटा रातभर जागकर पढ़ाई करता था, मैं भी उसके साथ पूरी रात जागता था। पढ़ाई के दौरान नींद न आए, इसलिए बीच-बीच में चाय बनाकर देता था।

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