सिद्धार्थनगर जिले में किसानों की मददगार समितियां खुद हुई लाचार

ब्लाक के प्रत्येक न्याय पंचायतों में चार दशक पूर्व साधन सहकारी समितियों के भवनों का निर्माण कराया गया था। प्रत्येक समितियों के अंतर्गत सात से आठ ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी है। उपेक्षा व उचित रख-रखाव के अभाव में वर्तमान में इनमें से अधिकांश भवन जर्जर हालत में पहुंच गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 10:21 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:21 PM (IST)
सिद्धार्थनगर जिले में किसानों की मददगार समितियां खुद हुई लाचार
सिद्धार्थनगर जिले में किसानों की मददगार समितियां खुद हुई लाचार

सिद्धार्थनगर: किसानों को समय से खाद और बीज उपलब्ध कराने के लिए स्थापित साधन सहकारी समितियों की स्थिति खराब है। क्षेत्र के कई साधन सहकारी समितियों के भवन जर्जर हो चुके हैं। जर्जर और क्षतिग्रस्त भवनों में खाद और बीज को सुरक्षित रखना कठिन हो गया है।

ब्लाक के प्रत्येक न्याय पंचायतों में चार दशक पूर्व साधन सहकारी समितियों के भवनों का निर्माण कराया गया था। प्रत्येक समितियों के अंतर्गत सात से आठ ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी है। उपेक्षा व उचित रख-रखाव के अभाव में वर्तमान में इनमें से अधिकांश भवन जर्जर हालत में पहुंच गए हैं। यहां जर्जर हो चुकी हैं समितियां

ब्लाक क्षेत्र के खेसरहा, विशुनपुर, कुड़जा, बेलउख, मसैचा, मरवटिया बाजार, एवं सुहई कनपुरवा समिति का भवन जर्जर हो चुका है। जिसमें मरवटिया बाजार एवं बेलउख की समितियों का भवन तो खंडहर में बदल चुका है। जिससे यह समितियां किराए के मकानों में संचालित हो रही हैं। इन गांवों में स्थापित हैं समितियां

खेसरहा विकास खंड के सेखुई,सुहई कनपुरवा, मरवटिया बाजार, बेलउख, कलनाखोर, खेसरहा, नासिरगंज, भेड़ौहा, कुड़जा, टिकुर, विशुनपुर, पिपरा दोयम, मसैचा में ब्लाक की साधन सहकारी समितियां स्थापित हैं। इनमें कुछ पूरी तरह अनुपयोगी हो गई हैं जिससे किराए के भवन में इनका संचालन होता है।

बोले किसान

सत्य प्रकाश पाण्डेय, महुआ ने कहा कि साधन सहकारी समितियों का रख-रखाव न होने से यह खंडहर हो चुकी हैं। विभाग अगर इस पर समय से ध्यान देता तो इनकी यह हालत न होती। अजयपाल, ग्राम सरैनिया ने कहा कि

मसैचा समिति का भवन काफी जर्जर हो चुका है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है । कब यह भरभरा कर गिर जाए कुछ कहा नहीं सकता। विभाग इसका निर्माण भी नहीं करवा रहा है। रविद्र पाल, कनपुरवा ने कहा कि

पहले गांव के पास ही लोगों को आसानी से खाद बीज मिल जाया करता था। लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते समितियों के भवन का नामो निशान मिट गया है। अब भटकना पड़ता है। राम मिलन चौधरी, मसैचा ने कहा कि भवन जर्जर होने के नाते इस पर गेहूं व धान का खरीद नहीं हो पा रहा है। जिसमें हम लोगों को अपनी उपज प्राइवेट में बेचना पड़ता है। जो हमारी आर्थिक क्षति का कारण है। अपर जिला सहकारी अधिकारी देवेंद्र प्रताप अग्रहरि ने बताया कि आइसीडीपी योजना के तहत जर्जर हो चुकी समितियों के जीर्णोंद्धार के लिए विभाग को कार्ययोजना भेजा गया है। धन अवमुक्त होते ही निर्माण कार्य कराया जाएगा।

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