गोरखपुर में स्ट्राबेरी की खेती से किसान मालामाल, जानें-कितना हो रहा फायदा

चरगांवा विकास खंड के ग्राम जंगल अयोध्या प्रसाद निवासी इस किसान ने करीब दो बीघे में स्ट्राबेरी की खेती की थी। उन्होंने इस बार भी 100 स्ट्राबेरी के पौधे लगाए हैं और किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:32 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 06:05 PM (IST)
गोरखपुर में स्ट्राबेरी की खेती से किसान मालामाल, जानें-कितना हो रहा फायदा
स्ट्राबेरी की और लगे हुए फल का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। जंगल अयोध्या प्रसाद के किसान मोहन प्रसाद स्ट्राबेरी की खेती से पूर्वांचल के किसानों में नई उम्मीद जगा रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष भी स्ट्राबेरी की खेती की थी, लेकिन लॉक डाउन के चलते बिक्री नहीं हुई। किसी तरह से सिर्फ पूंजी निकल सकी। मोहन को पता है कि इसमें संभावनाएं अपार हैं। इस लिए उन्होंने इस बार भी 100 स्ट्राबेरी के पौधे लगाए हैं और वह किसानों को प्रेरित कर रहे हैं कि इस खेती के जरिये वह कैसे अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं।

 चरगांवा विकास खंड के ग्राम जंगल अयोध्या प्रसाद निवासी इस किसान ने करीब दो बीघे में स्ट्राबेरी की खेती की थी। उत्पादन भी अच्छा हुआ था। पिछले वर्ष उसने स्ट्राबेरी बेंचकर उसने अपनी पूंजी तो निकाल ली, लेकिन वह उससे लाभ अर्जित नहीं कर सका था। स्थिति यह रही कि बाद में उसे स्ट्राबेरी फसल का उपयोग खाद बनाने के लिए करना पड़ा, लेकिन मोहन को यह पता है स्ट्राबेरी की खेती से पूर्वांचल के किसान अपनी स्थिति संवार सकते हैं।

सितंबर अक्टूबर है खेती के लिए उपयुक्त समय

स्ट्राबेरी की खेती के लिए सितंबर व अक्टूबर उपयुक्त माना जाता है। फरवरी , मार्च तक इसकी फसल तैयार हो जाती है। पिछले वर्ष मोहन ने पुणे से इसके पौधे मंगा कर इसकी खेती की थी । पॉलीहाउस के माध्यम से इन पौधों को करीब 10 से 25 डिग्री तापमान दिया गया है। यहां की मिट्टी स्ट्राबेरी के लिए उपजाऊ है। यहां आइसक्रीम सहित विभिन्न उत्पादों में स्ट्राबेरी की जरूरत पड़ती है। इसका कई चीजों में प्रयोग हाेता है। इसके बहुत फायदे भी हैं।

खेती से प्रभावित हैं किसान

मोहन के स्ट्राबेरी की खेती से किसान प्रभावित हैं। यहां की मिट्टी स्ट्राबेरी की खेती देख तमाम किसानों मंे उत्साह जगा है। किसानों का मानना है कि स्ट्राबेरी की खेती से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। राजकीय उद्यान अधीक्षक बलजीत सिंह का कहना है कि  इसकी खेती से एक एकड़ में करीब चार से पांच लाख का लाभ अर्जित किया जा सकता है।

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