समय से दुरुस्त होंगे एलएचबी कोच के पंखे, लाइट और चार्जर, नए साल में बढ़ जाएगी कारखाने की क्षमता
गोरखपुर स्थित रेलवे कारखाने की गणवत्ता और क्षमता का विस्तार किया जा रहा है। एलएचबी कोचों की मरम्मत के लिए यह किया जा रहा है। क्षमता बढने के बाद कोचों के पंखे लाइट मोबाइल चार्जर सीट खिड़कियां और टायलेट दुरुस्त कर लिए जाएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अति आधुनिक लिंकहाफमैन बुश (एलएचबी) कोच से चलने वाली ट्रेनों का सफर अब और आरामदायक होगा। समय रहते इन कोचों के पंखे, लाइट, मोबाइल चार्जर, सीट, खिड़कियां और टायलेट दुरुस्त कर लिए जाएंगे। इसके लिए यांत्रिक कारखाना गोरखपुर में अलग से एसी शेड का निर्माण कराया जा रहा है। कारखाने से अगले साल से हर माह 24 एलएचबी कोच मरम्मत होकर निकलने लगेंगे।
पुराने कोच बनने हो गए बंद
दरअसल, भारतीय रेलवे स्तर पर नए एलएचबी कोच ही बन रहे हैं। पुराने परंपरागत कोचों का निर्माण बंद हो गया है। इसके बाद भी कारखानों में पुराने शेड और सिस्टम में ही कोचों की मरम्मत हो रही है। जबकि, अब सिर्फ नए कोचों की मरम्मत होनी है। पुराने कोच 20 साल पूरा होते ही कंडम घोषित हो जा रहे हैं। पुराने कोचों से न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन (एनएमजी) और किसान एक्सप्रेस के लिए वैगन तैयार होने लगे हैं। कारखाने के पुराने सिस्टम पर नए कोचों की मरम्मत में समय लग रहा है। कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
रेलवे बाेर्ड ने प्रति माह 24 कोचों के मरम्मत का निर्धारित किया लक्ष्य
जानकारों के अनुसार आने वाले दिनों में इन कोचों की संख्या भी बढ़ जाएगी। पूर्वोत्तर रेलवे में ही 34 एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी कोच लगने लगे हैं। ऐसे में इन कोचों की समय से आवधिक मरम्मत रेलवे प्रशासन के सामने चुनौती बन गई है। ऊपर से रेलवे बोर्ड ने प्रतिमाह 24 कोचों की मरम्मत का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया है।
कारखाने की क्षमता होगा विस्तार
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि यांत्रिक कारखाना गोरखपुर में तकनीकी दक्षता एवं क्षमता विस्तार को लेकर निरंतर कार्य किया जाता है। इसी क्रम में एलएचबी कोचों के बेहतर अनुरक्षण एवं रखरखाव के लिए अलग शेड का निर्माण किया जा रहा है। इसका शुभारंभ नए वर्ष में किया जाना प्रस्तावित है।