गोरखपुर में 45 फीसद बढ़ गए परिवार नियोजन के लाभार्थी Gorakhpur News
15-49 आयु वर्ग की 63541 दंपतियों को आशा कार्यकर्ताओं ने बीते दो वर्षों के भीतर परिवार नियोजन सेवाओं से जोड़ा है। स्वाथ्य विभाग के लिए यह बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है। इसमें स्वत नसबंदी कराने भी शामिल हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। नियोजित परिवार के प्रति जिले के शहरी क्षेत्र में जागरूकता बढ़ी है। भारत सरकार के हेल्थ मैनेजमेंट इंफार्मेशन सिस्टम (एचएमआइएस) पोर्टल के रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में परिवार नियोजन के लाभार्थियों की संख्या औसतन 45 फीसदी बढ़ गई है।
डेटा के आधार पर सीएमओ सिरीज भी तैयार
परिवार नियोजन के अस्थायी साधन आइयूसीडी (एक तरह का कॉपर- टी) के लाभार्थियों में 20 व कंडोम के लाभार्थियों में 53 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। अन्य सेवाओं के लाभार्थी भी बढ़े हैं। नगरीय क्षेत्र में परिवार नियोजन कार्यक्रमों में तकनीकी सहयोग दे रही संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-द चैलेंज इनीशिएटिव ऑफ हेल्दी सिटी (पीएसआइ-टीसीआइएचसी) ने इस संबंध में एचएमआइएस डेटा के आधार पर एक सीएमओ सिरीज भी तैयार किया है, जिसे एडी हेल्थ डॉ. जनार्दन मणि त्रिपाठी ने सीएमओ को भेंट किया है।
ऐसे बढ़े लाभार्थी
वर्ष 2018-19 में शहरी क्षेत्र में आइयूसीडी के 6482, त्रैमासिक गर्भनिरोधक अंतरा इंजेक्शन के 75, कंडोम के 10717 और गर्भनिरोधक गोलियों के 70 लाभार्थी थे, जो वर्ष 2019-20 में बढ़ कर क्रमश: 7751, 3065, 16364, 8133 लाभार्थी हो गए। साथ ही 15-49 आयु वर्ग की 63,541 दंपतियों को आशा कार्यकर्ताओं ने बीते दो वर्षों के भीतर परिवार नियोजन सेवाओं से जोड़ा है। स्वाथ्य विभाग के लिए यह बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है। विभाग का मानना है कि यह संख्या प्रेरित करने के साथ स्वत: नसबंदी कराने वालों के कारण बढ़ी है। उम्मीद है कि अगले साल नसबंदी कराने वालों की और ज्यादा रहेगी।
लाभार्थियों के लिए हमेशा तैयार रखी जाती है किट
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि शहर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दो आइयूसीडी किट लाभार्थियों के लिए हमेशा तैयार रखी जाती है। माह में कम से कम दो अंतराल दिवस अवश्य आयोजित होते हैं, जिसमें परिवार नियोजन की सभी अस्थायी और स्थायी सुविधाओं की जानकारी के साथ उनका लाभ भी दिलवाया जाता है।