पारिवारिक कलह ने वृद्ध ने सरयू नदी में लगाई छलांग, मछुआरों ने बचा ली जिंदगी

देवरिया जिले में भागलपुर पुल से वृद्ध ने पारिवारिक कलह से तंग आकर सरयू नदी की तेज धारा में छ्लांग लगा दी। वहां से निकल रहे बालक की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मछुआरों के सहयोग से उसे बाहर निकाला।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 06:18 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 06:18 PM (IST)
पारिवारिक कलह ने वृद्ध ने सरयू नदी में लगाई छलांग, मछुआरों ने बचा ली जिंदगी
वृद्ध ने सरयू नदी में लगाई छलांग। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : देवरिया जिले में बलिया-देवरिया को जोड़ने वाले भागलपुर पुल से वृद्ध ने पारिवारिक कलह से तंग आकर सरयू नदी की तेज धारा में छ्लांग लगा दी। बालक की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मछुआरों के सहयोग से उसे बाहर निकाला। वृद्ध की जान बचाने के बाद सूचना देने वाले बालक को सभी लोग तलाश रहे थे। उस बच्चे की तारीफ कर रहे थे। लोगों ने उस बालक को देवदूत बताया।

घर से बिना बताए मोबाइल व साइकिल लेकर घर से निकले थे श्रीराम

लार थाना क्षेत्र के मठिला उपाध्याय निवासी श्रीराम राजभर उम्र 60 वर्ष सुबह 10 बजे बिना बताए मोबाइल व साइकिल लेकर घर से निकले थे। दोपहर दो बजे भागलपुर पक्के पुल के बीच में पहुंच साइकिल व मोबाइल रखकर उफनाई सरयू नदी में छलांग लगा दी। पुल से गुजर रहे 10 वर्ष के बालक ने दौड़ते हुए घटना की सूचना भागलपुर पुलिस चौकी पर दी। सूचना पर आनन-फानन चौकी इंचार्ज अश्वनी प्रधान, कांस्टेबल आदित्य, कृष्णपाल ने पुल पर पहुंच कर देखा कि वृद्ध पुल के पाये के पास उगे झाड़ को पकड़कर जान बचाने की गुहार लगा रहा है। पुलिस ने मछुआरों को बुलाकर नाव के सहारे वृद्ध को नदी से बाहर निकलवाया। स्वजन को सूचना दी । वृद्ध के पुत्र श्याम सुंदर, पुत्री गुडिय़ा, सोनी देवी और मठिला के ग्राम प्रधान अनिरुद्ध भारद्धाज मौके पर पहुंचे। चौकी प्रभारी ने वृद्ध को उनके सुपुर्द किया। एसओ मईल प्रमोद सिंह ने बताया कि लार थाना क्षेत्र का वृद्ध पुल से नदी में कूदा था। उसे बचाकर स्वजन को सौंप दिया गया है।

लावारिश हालत में रोता-बिलखता मिला बच्चा

भटनी थाना क्षेत्र के साहोपार के सामने निर्माणाधीन रेलवे अंडरपास के समीप एक मासूम रोता-बिलखता मिला। लोगों ने बच्चे से पिता का नाम-पता पूछा तो वह राजन बताया। वह मामा के विषय में भी बात कर रहा था। वह अपना गांव व अपने मामा के गांव का नाम नहीं बता पा रहा था। लोगों ने उसे खाना दिया तो मना कर दिया। वह केवल रो रहा था। शाम तक बच्चे के बारे में कुछ पता नहीं चल सका।

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