विशेषज्ञों ने दी सलाह, समय का करें सदुपयोग, निखारें बच्चों की रचनात्मकता Gorakhpur News

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍विद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में प्रो.धनंजय कुमार का कहना है कि इस समय अभिभावक बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। उनसे बातचीत करें और उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। खुद भी सक्रिय रहें।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:09 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:09 PM (IST)
विशेषज्ञों ने दी सलाह, समय का करें सदुपयोग, निखारें बच्चों की रचनात्मकता Gorakhpur News
पेंटिंग करती बच्‍ची का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोनाकाल का यह समय आपके बच्चे के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, यदि आप उन्हें समय का सदुपयोग करने का तरीका बताएं। बच्चे को तरह-तरह के क्राफ्ट व पेंटिंग बनाना सीखाएं। पाठ्यक्रम से इतर किताबें पढऩे के लिए प्रेरित करें। इस तरह उनका वक्त भी अच्छा गुजरेगा, साथ ही उन्हें घर में दोस्तों की कमी भी नहीं खलेगी। जागरण से बातचीत में विशेषज्ञों ने इस तरह के कई अन्य सुझाव दिए जो न सिर्फ बच्चों को टीवी व मोबाइल पर गेम खेलने जैसी आदतों से छुटकारा दिलाएगी बल्कि उन्हें सकारात्मक कार्य करने में भी मदद करेगी।

बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय गुजारे अभिभावक

दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍विद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में प्रो.धनंजय कुमार का कहना है कि इस समय अभिभावक बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। उनसे बातचीत करें और उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। इस प्रकार की गतिविधियां खुद तो करें ही उन्हें भी कराएं। यदि किसी बच्चे की रुचि कविता लेखन, पेंङ्क्षटग व अन्य गतिविधियों में हैं तो उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही उन्हें बीच में बीच में पाठ्यक्रम के अलावा अन्य किताबें पढऩे के लिए के लिए भी प्रेरित करें। यदि स्वयं योग या कसरत करते हैं तो बच्चों को भी इसमें संलग्न करें। इससे न सिर्फ वह व्यस्त रहेंगे बल्कि कोरोना को देखते हुए उनकी इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी।

अच्‍छी पुस्‍तक पढ़ने के लिए करें प्रेरित

मनोविज्ञानी आचार्य पवन त्रिपाठी का कहना है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह कहावत वैज्ञानिक है, क्योंकि यह ऊष्मागतिकी के पहले सिद्धांत पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा को नष्ट नहीं किया जा सकता, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसलिए दिमाग की ऊर्जा का उपयोग यदि रचनात्मक कार्यों में नहीं किया गया तो वह अपने आप ही नकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस ऊर्जा का उपयोग टीवी या मोबाइल देखने में करना बिल्कुल ठीक नहीं है।यह हमारी आंखों के साथ मानसिकता पर भी प्रभाव डालती है। इस समय स्कूल व आनलाइन पढ़ाई बंद है। ऐसे में अभिभावक उन्हें किसी अच्छी पुस्तक पढऩे के लिए प्रेरित करें। उनकी जिस कार्य में रूचि हो जैसे पेंटिग, कुकिंग,  सिंगिंग, डांसिंग या राइटिंग वहीं उनसे कराएं और उन्हें व्यस्त रखें। आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य विशाल त्रिपाठी का कहना है कि घर पर रहते हुए बच्चों को अपनी दिनचर्या निर्धारित करनी होगी। इसमें माता-पिता की अहम भूमिका होगी। अभी तक बच्चों को जो पढ़ाया गया है उसे वह नियमित दोहराएं। साथ ही आगे के पाठ्यक्रमों का भी अध्ययन करते रहे। जिससे कक्षाएं संचालित होने पर पढ़ाई में आसानी हो सके। इसके अलावा परिवार के सदस्यों के साथ रचनात्मक कार्य करें। गायन, वादन, आर्ट एंड क्राफ्ट आदि गतिविधियों के माध्यम से भी बच्चे अपने को व्यस्त रखें। यदि घर में बड़े-बुजुर्ग हैं तो उनसे उनके अनुभवों को साझा करें।

क्‍या कहते हैं स्‍कूली बच्‍चे

कक्षा पांच की छात्रा हेमा भारती का कहना है कि अभी स्कूल से नई किताबें नहीं मिलीं हैं। इसलिए घर पर ही रहकर पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रही हूं। पढ़ाई के अलावा डांस में मेरी रुचि है। इसलिए थोड़ा-बहुत उसका भी अभ्यास कर लेती हूं। टीवी व मोबाइल से दूर रहते हुए अधिक से अधिक समय पढ़ाई पर देती हूं। कक्षा छह के छात्र निखिल कुमार का कहना है कि इस समय सुबह-शाम नियमित पढ़ाई कर रहे हैं। जो होमवर्क हमें पहले स्कूल से मिल चुका है उसको बीच-बीच में दोहराते हैं, ताकि वह हमें याद रहे। इसके अलावा घर के सदस्यों के साथ योगा व कसरत भी करते हैं, ताकि हमारा स्वास्थ्य ठीक रहें। इससे हमारा समय अच्छे से व्यतीत हो रहा है।

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