महराजगंज जिला अस्पताल के एसएनसीयू का विस्तार शुरू, नवजातों को मिलेगी राहत
महराजगंज जनपद के 100 बेड के जिला अस्पताल में शिशु मृत्युदर के रोकथाम एवं शिशुओं की सुरक्षा के लिए 30 मार्च 2016 को प्रथम तल पर एसएनसीयू वार्ड का निर्माण कराया गया। इसमें 20 बेड की व्यवस्था की गई। आबादी बढ़ने के साथ ही नवजातों की संख्या भी बढ़ती गई। लेकिन वार्ड में संसाधन नहीं बढ़ सके। एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।
महराजगंज: जिला अस्पताल के सिक एंड बर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड के विस्तार का कार्य शुरू हो गया है। अब यहां बेडों की संख्या 20 से बढ़कर 26 हो जाएगी। इससे अब जहां बेड फुल रहने की समस्या कम होगी, वहीं नवजातों को राहत भी मिलेगी।
महराजगंज जनपद के 100 बेड के जिला अस्पताल में शिशु मृत्युदर के रोकथाम एवं शिशुओं की सुरक्षा के लिए 30 मार्च 2016 को प्रथम तल पर एसएनसीयू वार्ड का निर्माण कराया गया। इसमें 20 बेड की व्यवस्था की गई। आबादी बढ़ने के साथ ही नवजातों की संख्या भी बढ़ती गई। लेकिन वार्ड में संसाधन नहीं बढ़ सके। एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इस समस्या को दैनिक जागरण द्वारा लगातार अभियान के रूप में प्रकाशित किया गया। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और इसके विस्तार की कवायद तेज की। वार्ड के बगल के कंगारू मदर केयर कक्ष को एसएनसीयू के लिए लिया गया है। अब इसमें मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। करीब पांच लाख रुपये की लागत से तैयार हो रहा यह वार्ड आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। वार्ड के लिए छह रेडिएंट वार्मर भी उपलब्ध कराया जा चुका है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के विस्तार का कार्य शुरू हो गया है। अक्टूबर माह में यह पूरा हो जाएगा। अब एसएनसीयू में कुल 26 बेड हो जाएंगे। एक बेड पर तीन नवजात, संक्रमण का खतरा
एसएनसीयू वार्ड तीन माह से फुल चल रहा है। 20 बेड के एसएनसीयू में 37 नवजात भर्ती हैं। मरीजों को बढ़ने के कारण इनका इलाज करने में अस्पताल बीमार हो गया है। वार्डों में एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इससे बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। गंभीर शिशुओं का होता है इलाज
एसएनसीयू के रेडिएंट वार्मर में प्री-मेच्योर और कम वजन वाले नवजात को रखा जाता है। इसमें जन्म लेने के साथ सांस, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थित में इलाज किया जाता है। निश्चित तापमान में रखे जाते हैं नवजात
जन्म के 42 दिनों के भीतर बच्चों को सबसे अधिक बीमारी तापमान बदलाव से होती है। ऐसी स्थिति में एसएनसीयू वार्ड का वातानुकूलित माहौल नवजात के स्वास्थ्य के लिए प्रभावी होता है। निश्चित तापमान में रख कर बच्चों का इलाज करने से वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। समय से पहले ही डिस्चार्ज कर देते मरीज
वार्ड में भर्ती नवजात को कम से कम एक सप्ताह तक रखना होता है, लेकिन बेड फुल रहने और मरीजों का दबाव बढ़ने के कारण अधिकांश नवजातों को समय से पहले ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है। अधिकांश नवजातों को 72 घंटे बाद सुधार होता देख चिकित्सक तीन से चार दिन में ही रेफर कर देते हैं। जिससे कई बार नवजात की दिक्कत बढ़ जाती है, तो स्वजन उन्हें दोबारा लेकर चिकित्सक तक पहुंचते हैं। लेकिन वार्ड के विस्तार होने से इस समस्या से निजात मिल जाएगा।