यूपी के इस जिले में आज भी कायम है अंग्रेजों की भूमिधरी, अंग्रेज परिवारों के नाम है जमीन

यूपी के सिद्धार्थनगर के ग्राम पंडितपुर में अंग्रेज जमींदार आरएन बर्ड के कर्मचारी हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव रहते थे। जब वह इंग्लैंड वापस जाने लगे तो अपनी जमीन इन्हें बैनामा कर दिए। पर आज भी राजस्व अभिलेख में उनके नाम भूमि दर्ज नहीं हो सकी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 02:39 PM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 02:39 PM (IST)
यूपी के इस जिले में आज भी कायम है अंग्रेजों की भूमिधरी, अंग्रेज परिवारों के नाम है जमीन
यूपी के सिद्धार्थनगर में अब भी अंग्रेजों के नाम जमीन है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, प्रशांत सिंह। अंग्रेज 1947 में भारत से चले गए, लेकिन सिद्धार्थनगर के राजस्व रिकार्डों में आज भी उनकी भूमिधरी कायम है। नेपाल बार्डर के गांवों में भूमि अभी भी उन्हीं के नाम है। कुछ हिस्से को अंग्रेजों ने ही बेच दिया, मगर इस पर भी अब तक खरीदारों के नाम नहीं चढ़ सके हैं।

सदर तहसील के ग्राम पंडितपुर में अंग्रेज जमींदार आरएन बर्ड के कर्मचारी हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव रहते थे। जब वह इंग्लैंड वापस जाने लगे तो अपनी जमीन इन्हें बैनामा कर दिए। पर, आज भी राजस्व अभिलेख में उनके नाम भूमि दर्ज नहीं हो सकी। यह हाल तब है, जब गांव चकबंदी की प्रक्रिया से गुजर चुका है।

इन गांवों में अंग्रेजों के नाम भूमि

सदर तहसील के बर्डपुर बाजार में मिसेज अल्फर्ड के नाम करीब एक बीघा, बर्डपुर नंबर नौ में बर्ड साहब के नाम चार बीघा व बर्डपुर नंबर सात में करीब दो बीघा का बाग, शोहरतगढ़ तहसील के बजहा गांव में मिसेज पेपे के नाम पर करीब तीन बीघा बाग है। शोहरतगढ़ तहसील के ग्राम रमवापुर, दुल्हा खुर्द, अलीदापुर उर्फ गौरा बाजार आदि में भी कई आराजी में अंग्रेजों का नाम दर्ज है।

यह है अंग्रेज जमींदारों का इतिहास

1829 में आरएन बर्ड गोरखपुर के कमिश्नर नियुक्त किए गए थे। इन्हीं के नाम पर बर्डपुर कस्बा बसा। यह अंग्रेज जमींदारों की रियासत थी। बर्डपुर स्टेट की स्थापना 1832 में हुई थी। 1834 में ककरहवा बाजार के पास दुल्हा कोठी बनाई गई। यह अंग्रेज जमींदारों का हेडक्वार्टर था। जमींदारी का प्रबंधन शुरुआत में जे डिकेन व जेएच बृजमन को सौंपा गया था। अलीदापुर जमींदारी का प्रबंधन ओ एलसन के पास था। 1881 में अलीदापुर की जमींदारी डब्ल्यू एफ पेपे ने खरीद ली थी।

बगैर स्वामित्व के भूमि नहीं हो सकती। जेजे एक्ट (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 ) का मूल आधार इसी पर आधारित है। भारत-पाक विभाजन के बाद जो लोग अपनी चल-अचल संपत्ति छोड़ कर चले गए थे, राज्य सरकार ने उसे राज्य संपत्ति घोषित कर दिया। अंग्रेजों के नाम पर दर्ज जमीन के संबंध में भी यह नियम लागू होता है। यह प्रशासन की चूक है कि भूमि अभी भी अंग्रेजों के नाम से दर्ज है। - विजय कुमार उपाध्याय, वरिष्ठ अधिवक्ता।

अंग्रेजों की भूमि यहां पर है, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। अब यह संज्ञान में आया है। इस संबंध में कार्रवाई की जाएगी। विधि विशेषज्ञों से भी परामर्श लिया जाएगा। ऐसी भूमि की खोज के लिए लेखपाल व राजस्व निरीक्षकों को निर्देशित किया जाएगा। - सीताराम गुप्ता, एडीएम।

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