समितियों पर सरकारी दर से महंगी मिल रही यूरिया

खाद की किल्लत से जूझ रहे किसानों को समितियां भी राहत नहीं दे रही हैं। दो समितियों पर 330-330 बोरी यूरिया पहुंची और खत्म भी हो गई। साड़ी कला समिति पर अभी यूरिया है तो उसे समिति के जिम्मेदार 290 रुपये प्रति बोरी बेच रहे जबकि सरकारी दर यूरिया का 266 रुपये 50 पैसे हैं। करीब 23 रुपये अतिरिक्त लिया जाना किसानों को अखर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 06:40 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 06:40 PM (IST)
समितियों पर सरकारी दर से महंगी मिल रही यूरिया
समितियों पर सरकारी दर से महंगी मिल रही यूरिया

सिद्धार्थनगर : खाद की किल्लत से जूझ रहे किसानों को समितियां भी राहत नहीं दे रही हैं। दो समितियों पर 330-330 बोरी यूरिया पहुंची और खत्म भी हो गई। साड़ी कला समिति पर अभी यूरिया है तो उसे समिति के जिम्मेदार 290 रुपये प्रति बोरी बेच रहे जबकि सरकारी दर यूरिया का 266 रुपये 50 पैसे हैं। करीब 23 रुपये अतिरिक्त लिया जाना किसानों को अखर रहा है।

मिठवल विकास खंड के ककुआ उर्फ भतिजवापुर साधन सहकारी समिति पर बीते पांच दिसंबर को 330 बोरी खाद जब आई तो लोगों की लंबी लाइन लग गई। प्रति किसान दो बोरी ही लोगों को खाद मिली और खत्म हो गई। जबकि इसपर कुल 14 गांव के किसान आश्रित हैं। इसी तरह साधन सहकारी समिति अशोगवा में बीते सात दिसंबर को भी इतनी ही खाद आई जो दिनों में बंट गई। इसके जिम्मे भी 15 गांव के किसानों का भार है। साड़ी कला समिति पर भी इतनी ही खाद आठ दिसंबर को आई जो सरकारी दर से अधिक लेकर बांटी जा रही।

पाली के अब्दुल रशीद ने कहा कि ककुआ उर्फ भतिजवापुर साधन सहकारी समिति पर बुधवार को सुबह से लाइन में लगा था पर दो ही बोरी 280 के रेट से मिली जो खेती के अनुसार बहुत कम है।

पाला के हरीश कुमार ने कहा कि इसी समिति पर हम भी लाइन में लगे थे पर खाद खत्म हो गई और निराश होकर साढे तीन सौ रुपये में दुकान से खरीदना पड़ा। बिना डाई के बोआई भी करनी पड़ी है।

बैदौली के संजय प्रसाद ने बताया कि अशोगवा समिति पर जैसे ही खाद आई, हम लाइन में लग गए। दो बोरी खाद 280 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से मिली है। खेती के लिए अभी हमें तीन बोरी और चाहिए।

बैदौली खुर्द के अवधु ने कहा कि अशोगवा समिति पर खाद जब पहुंची तो उसके पहले ही मैं दुकान से खरीद लिया था। डर था कि जैसे डाई नहीं मिल रही उसी तरह कहीं यूरिया का संकट भी न हो जाए।

इस संबंध में बांसी के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश का कहना है कि डीएपी की तरह यूरिया में दिक्कत नहीं आएगी। उसके लिए बैठक भी हुई। जिन्हें भी जितनी खाद की आवश्यकता होगी खेती के अनुसार उन्हें खाद दी जाएगी। अधिक पैसा लेकर किसी समिति पर खाद दी जा रही तो किसान तत्काल फोन से हमें सूचित करें, तुरंत कार्रवाई होगी।

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