Corona Fighters : इस गंभीर बीमारी से पीड़‍ित होकर भी हराया दिया कोरोना को, जानिए कैसे

Corona Fighters किडनी की बीमारी से पीड़‍ित 66 वर्षीय महिला ने कोरोना को हराकर समाज को संदेश दिया है कि यदि सतर्कता व बचाव के उपायों को अपनाया जाए तो कोरोना पर विजय पाई जा सकती है। तारामंडल निवासी अनिता तिवारी ग्रीन लांस स्कूल ऊंचवां में प्रधानाचार्य हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 04:30 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 04:30 PM (IST)
Corona Fighters : इस गंभीर बीमारी से पीड़‍ित होकर भी हराया दिया कोरोना को, जानिए कैसे
अनिता तिवारी, प्रधानाचार्य ग्रीन लांस स्कूल। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : किडनी की बीमारी से पीड़‍ित 66 वर्षीय महिला ने कोरोना को हराकर समाज को संदेश दिया है कि यदि सतर्कता व बचाव के उपायों को अपनाया जाए तो कोरोना पर आसानी से विजय पाई जा सकती है। तारामंडल निवासी अनिता तिवारी ग्रीन लांस स्कूल, ऊंचवां में प्रधानाचार्य हैं। वह डायलिसिस कराने गई थीं तो जांच में कोरोना पाजिटिव आईं। अब स्वस्थ होकर घर आ गई हैं।

30 वर्षों से है क‍िडनी की बीमारी

पिछले 30 वर्षों से वह किडनी की बीमारी से पीड़ि‍त हैं। उनकी नियमित डायलिसिस होती है। डायलिलिस के लिए जब अस्पताल पहुंची तो पहले कोरोना की जांच की गई। रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। वह शाही ग्लोबल हास्पिटल में भर्ती हो गईं। अब स्वस्थ होकर घर आ गई हैं। कहती हैं कि मुझे भरोसा था कि मैं बच जाऊंगी। सकारात्मक सोच बनाए रखी। भगवान पर मुझे पूरा विश्वास है। अब स्वाद भी मिलने लगा है और भूख भी लग रही है। घर में ही टहलती हूं और योग-प्राणायाम नियमित कर रही हूं। दिन में दो बार काढ़ा पीती हूं। पानी पीने के लिए डाक्टर ने मना किया है, लेकिन जब गला सूखने लगता है तो थोड़ा गर्म पानी पी लेती हूं। सतर्कता व बचाव के सभी उपायों का पालन कर रही हू्ं।

बचाव व सतर्कता के साथ लड़ रहे कोविड से जंग

कोविड-19 के लेवल टू टीबी हास्पिटल ड्यूटी करते हुए डा. आशुतोष चौहान ने बचाव के सतर्कता के चलते न केवल स्वयं को संक्रमित होने से बचाया है बल्कि अब तक अपने परिवार को भी सुरक्षित रखा है । वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भटहट में तैनात हैं। टीबी अस्पताल में उनकी ड्यूटी लगाई गई है।

अस्‍पताल के घर जाने पर बरतते हैं एहतियात

डा. चौहान बताते हैं कि आठ व पांच वर्ष के उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं। अस्पताल से घर जाने पर पूरी एहतियात बरतते हैं। चाहकर भी बच्चों से नहीं मिलते हैं। घर में प्रवेश के पहले सभी कपड़े गर्म पानी में भिगो देते हैं। गर्म पानी व साबुन से नहाने के बाद ही घर में जाते हैं। पूरी तैयारी के साथ घर से निकलते हैं । नींबू वाली चाय एक थर्मस में भर लेते हैं । इसके साथ ही दो तौलिया, सैनिटाइजर व हैंडवास लेकर हास्पिटल पहुंचते हैं। तौलिया में सैनिटाइजर लगाकर वह स्वयं अपनी टेबल आदि को साफ करते हैं , फिर उस तौलिए को एक पालीथिन में रख देते हैं। मरीजों को देखने के दौरान मास्क और ग्लब्स लगाए रहते हैं। उन्होंने यह निश्चय किया है कि हास्पिटल में जब तक ड्यूटी करेंगे, इस दौरान वह पत्नी और बच्चों से अलग रह कर उन्हें संक्रमण से बचाएंगे।

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