अधिशासी अभियंता की रिहाई नहीं हुई तो भविष्‍य में चुनाव ड्यूटी न करने की धमकी Gorakhpur News

संघ ने इस गलती को मानवीय त्रुटि बताते हुए उन्हें थाने पर बैठाने को गलत बताया है। संघ का कहना है कि यदि वीरेंद्र कुमार को नहीं छोड़ा गया तो इंजीनियर भविष्य में कभी भी चुनाव ड्यूटी नहीं करेंगे।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 04:08 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 04:08 PM (IST)
अधिशासी अभियंता की रिहाई नहीं हुई तो भविष्‍य में चुनाव ड्यूटी न करने की धमकी Gorakhpur News
गिरफ्तारी के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनन। ब्रह्मपुर ब्लाक के दो जिला पंचायत वार्डों 60 एवं 61 में हारे हुए प्रत्याशी को जिताने के मामले में ब्लाक के रिटर्निंग आफिसर (आरओ) रहे सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ई. वीरेंद्र कुमार पर एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है। रात से उन्हें थाने पर बैठाने और जेल भेजने  के बाद उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स संघ उनके समर्थन में आ गया है। संघ ने इस गलती को मानवीय त्रुटि बताते हुए उन्हें थाने पर बैठाने को गलत बताया है। संघ का कहना है कि यदि वीरेंद्र कुमार को नहीं छोड़ा गया तो इंजीनियर भविष्य में कभी भी चुनाव ड्यूटी नहीं करेंगे।

कंप्‍यूटर आपरेटर से हुई मानवीय त्रुटि

एसोसिएशन के महासचिव ई. आशीष यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में अधिशासी अभियंता के पद पर कार्यरत वीरेंद्र कुमार की ड्यूटी ब्रह्मपुर ब्लाक में आरओ के रूप में लगी थी। उन्होंने कहा कि मतगणना का कार्य करीब 40 से 45 घंटे चलता रहा। वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो पा रहा था। मतगणना के लिए स्टेशनरी आदि की भी पूरी व्यवस्था नहीं कराई गई थी। वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण के कारण अधिकारी एवं कर्मचारी भय के वातावरण में काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में त्रुटि भी हो सकती है। इस मामले में कंप्यूटर आपरेटर से मानवीय त्रुटि हुई है।

जिला प्रशासन पर अपमानित करने का आरोप

उन्होंने कहा कि मतगणना में आरओ की पूरी जिम्मेदारी होती है लेकिन प्रकरण का पर्याप्त संज्ञान लिए बिना जिला निर्वाचन अधिकारी ने बिना किसी जांच के आरओ वीरेंद्र कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दी। वीरेंद्र की उम्र 54 साल है, पुलिस ने बुधवार की रात करीब 1.30 बजे से उन्हें झगहा थाने में बैठाए है, यह नियम विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि अन्य वार्डों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अभियंताओं के साथ भेदभाव कर उन्हें अपमानित करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे अभियंताओं में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि यदि वीरेंद्र को निजी मुचलके पर नहीं छोड़ा जाता है तो भविष्य में प्रदेश के सभी अभियंता चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करने के लिए विवश होंगे। उन्होंने इस मामले में जांच कर वीरेंद्र कुमार पर कराई गई एफआइआर निरस्त करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भी लिखा है।

मुख्यालय पर भी उठ रहे सवाल

जिला पंचायत चुनाव के निर्वाचन अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। तीन दिन में सभी वार्डों का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सका। कई वार्डों के परिणाम को लेकर सवाल खड़े किए गए। वार्ड संख्या 60 व 61 का बूथवार विवरण तीन मई को प्राप्त हो चुका था, उसके बाद भी मुख्यालय स्तर से पहला एवं दूसरा स्थान पाने वाले प्रत्याशियों के वोटों का मिलान नहीं किया गया। जबकि शिकायत भी मिली थी। मिलान हुआ होता तो शायद ङ्क्षहसा नहीं होती। इसी तरह वार्ड संख्या 33 को लेकर भी खूब हंगामा हुआ था। वार्ड संख्या 45 में मुख्यालय स्तर पर ही वोटों की संख्या बदल गई और परिणाम भी।

मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से निषाद समाज को मिला न्याय

राज्यसभा सदस्य जयप्रकाश निषाद के हवाले से जारी विज्ञप्ति में उनके प्रतिनिधि ओमप्रकाश मिश्र ने बताया कि जिला पंचायत वार्ड संख्या 60 एवं 61 में आरओ द्वारा मतगणना में गड़बड़ी की सूचना मिलते ही राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन को इस बात से अवगत कराया। उन्होंने आरओ पर कार्रवाई की मांग भी की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए दोबारा मतगणना कराई और वार्ड नंबर 60 से रविप्रताप निषाद एवं 61 से कोदई साहनी को निर्वाचित घोषित किया। इससे निषाद समाज के साथ न्याय हो सका।

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