11 किलोमीटर नहर से नहीं हटा कब्जा, अब चुनाव बाद आएगी तेजी Gorakhpur News

नगर निगम की टीम को नहर से कब्जा हटाने का निर्देश मिला था। सुबह टीम अभी तैयारी कर ही रही थी कि सभी को रामगढ़ताल और हुमांयूपुर में अलग-अलग होकर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहुंचने के निर्देश दिए गए।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 01:32 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 01:32 PM (IST)
11 किलोमीटर नहर से नहीं हटा कब्जा, अब चुनाव बाद आएगी तेजी Gorakhpur News
नगर निगम भवन का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। शहर में 11 किलोमीटर लंबी नहर पर कब्जा हटाने का अभियान एक दिन बाद ही ठप हो गया। सोमवार को नलकूप विभाग के भवन पर ताला लगाने के बाद अभियान नहीं चल सका। हालांकि पहले दिन की कार्रवाई का असर यह रहा कि कई स्थानों पर कब्जा करने वाले खुद अतिक्रमण ध्वस्त करने में जुटे हैं।

नगर निगम की टीम को नहर से कब्जा हटाने का निर्देश मिला था। सुबह टीम अभी तैयारी कर ही रही थी कि सभी को रामगढ़ताल और हुमांयूपुर में अलग-अलग होकर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहुंचने के निर्देश दिए गए। हुमायूंपुर में टीम ने कई नालों पर हुए पक्के निर्माण ध्वस्त किए। प्रवर्तन बल के प्रभारी कर्नल सीपी सिंह ने बताया कि हड़हवा फाटक और धर्मशाला ओवरब्रिज के नीचे हुए अतिक्रमण को ध्वस्त कराया गया।

वर्ष 1982 में पहली बार हुई थी कब्जे की शिकायत

वर्ष 1971 में बंद हो चुकी रामगढ़ पश्चिमी पंप नहर पर सबसे पहले कब्जे की शिकायत वर्ष 1982 में हुई। नलकूप विभाग के तत्कालीन अफसरों ने प्रशासन को पत्र लिखकर कब्जे की जानकारी दी। बाद में तत्कालीन नगर महापालिका व विकास प्राधिकरण पर नहर की जमीन में नाला व सड़क बनाकर कब्जे की शिकायत की गई थी।

कब्जे के बदले मांगा था 4.59 करोड़ रुपये

नहर की जमीन पर कब्जा बढऩे लगा तो नलकूप विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता ने वर्ष 1993 में नगर महापालिका के मुख्य नगर अधिकारी और विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखकर जमीन के रुपये जमा करने का अनुरोध किया। अधिशासी अभियंता ने लिखा था कि अक्टूबर 1992 में रुस्तमपुर इलाके में प्रति वर्गफीट 225 रुपये की दर से कब्जा हुई जमीन का चार करोड़ 17 लाख 90 हजार 60 रुपये जमा करने को कहा गया था। अब एक साल बाद दस फीसद की वृद्धि के साथ नगर महापालिका व विकास प्राधिकरण चार करोड़ 59 लाख 60 हजार 660 रुपये जमा कर जमीन ले ले। हालांकि बाद में भी रुपये नहीं दिए गए थे। रुपये न जमा करने पर नहर की जमीन पर सड़क व नाली न बनाने को भी कहा गया था। नगर आयुक्त आशीष कुमार का कहना है कि कर्मचारी के चुनाव ड्यूटी में लगने के कारण अभियान तेजी से नहीं चल पा रहा है। बीच-बीच में अभियान चलता रहेगा। चुनाव के बाद इसमें तेजी ले आयी जाएगी। कब्जा करने वाले खुद ही अतिक्रमण हटा लें। यदि नगर निगम अतिक्रमण हटाएगा तो जुर्माना भी जमा कराया जाएगा।

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