गुजरात के पार्कों में गोरखपुर के 'हाथी', दक्षिण भारत में गोरखपुर की 'मछली' और कछुआ की धूम

गोरखपुर का टेराकोटा गुजरात और दक्षिण भारत के शहरों में धूम मचा रहा है। गुजरात के अहमदाबाद के पार्कों की शोभा बढ़ाने में गोरखपुर के टेराकोटा का भी योगदान रहेगा। गोरखपुर के शिल्पकार राजन प्रजापति को हाथी की मूर्ति तैयार करने का आर्डर भी मिला है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 08:50 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 08:50 AM (IST)
गुजरात के पार्कों में गोरखपुर के 'हाथी', दक्षिण भारत में गोरखपुर की 'मछली' और कछुआ की धूम
गोरखपुर के टेराकोटा की मांग अन्य प्रदेशों में भी हो रही है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, उमेश पाठक। गुजरात के प्रमुख शहर अहमदाबाद के पार्कों की शोभा बढ़ाने में गोरखपुर के टेराकोटा का भी योगदान रहेगा। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल टेराकाेटा से तैयार हाथी की प्रतिमा वहां के पार्कों में लगाने की योजना बनाई गई है। गोरखपुर के शिल्पकार राजन प्रजापति को हाथी की मूर्ति तैयार करने का आर्डर भी मिला है। सबसे पहले यह मूर्ति अहमदाबाद के प्रतिष्ठित कांकरिया एडवेंचर पार्क में लगाई जाएगी। अभी आधा दर्जन मूर्तियां तैयार की जाएगी, दीपावली के बाद इसमें और तेजी आएगी।

हाथी की मूर्ति बनाने में जुटे शिल्पकार, दीपावली के बाद आएगी तेजी

ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद टेराकोटा का तेजी से विकास हो रहा है। स्थानीय स्तर के बाजार से निकलकर यह उत्पाद दूसरे प्रदेशों में भी जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान में टेराकोटा उत्पादों की खूब मांग है। वहां के व्यापारी यहां के टेराकोटा शिल्पकारों को समय-समय पर नई कलाकृतियां बनाने का आर्डर भी देते रहते हैं। अहमदाबाद में टेराकोटा का शोरूम चलाने वाले एके हैंडीक्राफ्ट के मालिक आकाश प्रजापति की ओर से पांच फीट की हाथी की मूर्ति बनाने का आर्डर दिया गया है। व्यापारी आकाश प्रजापति बताते हैं कि गुजरात में गोरखपुर के टेराकोटा की खूब मांग है। हर महीने दो से तीन ट्रक टेराकोटा उत्पाद गोरखपुर से गुजरात मंगाए जाते हैं।

पूरी तरह से हाथ से बनाई जा रही मूर्ति

गुजरात भेजने के लिए हाथी की यह मूर्ति बनाने में किसी प्रकार की डाई अथवा मशीन का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इसे पूरी तरह से हाथों से ही बनाया जा रहा है। राजन प्रजापति फिलहाल दो मूर्तियों को तैयार करने में जुटे हैं। एक साथ दोनों मूर्तियों को भट्ठी में पकाया जाएगा। गुजरात के पार्क में यह मूर्ति लगने से टेराकोटा का प्रचार हो सकेगा। इसे तैयार करने में करीब 7.5 हजार रुपये की लागत आएगी।

दक्षिण भारत में सरहा जाता है मछली बास्केट एवं कछुआ की आकृति

गोरखपुर में टेराकोटा से बने मछली बास्केट एवं कछुआ की आकृति को दक्षिण भारत में खूब सराहा जाता है। शिल्पकारों के अनुसार वहां से इसकी खूब मांग आती है।

हमारे यहां से कई तरह के उत्पाद गुजरात भेजे जाते हैं लेकिन ऐसा पहली बार है जब इतनी बड़ी हाथी की मूर्ति बनाने का आर्डर मिला है। शुरू में छह हाथी बनानी है। दीपावली के बाद और भी आर्डर मिलने की उम्मीद है। हाथी की दो मूर्ति तैयार कर ली गई है। - राजन प्रजापति, शिल्पकार।

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