गांव में लाइब्रेरी खुलवाई, स्कूल बंद हुए तो घर को पाठशाला बना दिया
संतकबीर नगर सबके जीवन का एक लक्ष्य होता है। उसे पूरा करने का जुनून होता है। ऐसा ही एक जुनून है अनीता जय सिंह के मन में। उनका लक्ष्य है हर बच्चे को पढ़ाई का मौका मिले। इसके लिए गांवों में पुस्तकालय बनवाने में जुटी हैं।
संतकबीर नगर : सबके जीवन का एक लक्ष्य होता है। उसे पूरा करने का जुनून होता है। ऐसा ही एक जुनून है अनीता जय सिंह के मन में। उनका लक्ष्य है, हर बच्चे को पढ़ाई का मौका मिले। इसके लिए गांवों में पुस्तकालय बनवाने में जुटी हैं। अभी तक वह तीन लाइब्रेरी बनवा चुकी हैं। यहां तक कि अपने घर का एक हिस्सा भी पुस्तकालय में बदल दिया है।
खलीलाबाद विकास खंड के मैनसिर गांव की अनीता जय सिंह इसी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय मंझरिया में सहायक अध्यापक हैं। करीब 10 वर्ष पूर्व उनकी शादी हुई। उन्होंने पति जय सिंह से समाज के प्रति कुछ करने की इच्छा जताई। ससुराल में सभी ने उनका उत्साह बढ़ाया। पहले तो उन्होंने अपने विद्यालय के बच्चों को स्कूल समय के बाद घर बुलाकर अलग से पढ़ाना शुरू किया। इस बीच जाना कि बच्चों को किताबों की जरूरत है। फिर वह लाइब्रेरी बनवाने में भी जुट गईं। पिछले वर्ष मैनसिर चौराहे पर पुस्तक कुंज नाम का पुस्तकालय बनवाया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी रवीश गुप्त ने किया था। यहां कविता, कहानियों के साथ प्रतियोगी परीक्षा और इतिहास संबंधी एक हजार से अधिक पुस्तकें हैं। बीती तीन जनवरी को उन्होंने अपने विद्यालय में अपने वेतन से भी एक पुस्तकालय बनवाया है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कोनी गांव में भी किराये के कमरे में एक पुस्तकालय बनवाया है, जहां कोई भी निश्शुल्क किताबें पढ़ सकता है। वह अपने वेतन व परिवार के सहयोग से पुस्तकों की व्यवस्था करती हैं। अनीता कहती हैं कि बच्चे पढ़ेंगे, तभी बढ़ेंगे। उनका भविष्य सुधरेगा। वह समाज के मजबूत स्तंभ बनेंगे। देश को मजबूत करने के लिए शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने की जरूरत है, इसीलिए गांव-गांव पुस्तकालय बनवाना चाहती हूं। घर पर हर रोज निश्शुल्क पाठशाला अनीता के घर पर हर रोज निश्शुल्क पाठशाला चलती है। मैनसिर चौराहा व आसपास रहने वाले स्कूल के बच्चों को शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक 10-10 की टोलियों में बुलाती हैं और एक-एक घंटे की क्लास में पढ़ाती हैं।