जयघोष के बीच स्थापित हुईं दुर्गा प्रतिमाएं, बंगाली परंपरा की प्रतिमाओं का शुरू हो गया दर्शन

शारदीय नवरात्र की पंचमी/षष्ठी पर सोमवार को जयघोष के बीच मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की गईं। बंगाली पंरपरा की दुर्गा प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन करने के बाद शाम को माता का दरबार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:11 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 07:30 PM (IST)
जयघोष के बीच स्थापित हुईं दुर्गा प्रतिमाएं, बंगाली परंपरा की प्रतिमाओं का शुरू हो गया दर्शन
दीवान बाजार में स्‍थापित मां दुर्गा की प्रतिमा। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता: शारदीय नवरात्र की पंचमी/षष्ठी पर सोमवार को जयघोष के बीच मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की गईं। बंगाली पंरपरा की दुर्गा प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन करने के बाद शाम को माता का दरबार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने दर्शन-पूजन कर मंगल कामना की। दर्शन-पूजन का सिलसिला शाम को शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा।

बंगाली रीति-रिवाज में नहीं ढंका जाता है मां का चेहरा

बंगाली रीति-रिवाज से आयोजित दुर्गा पूजा उत्सव में मां का चेहरा ढंका नहीं जाता है। इसलिए षष्ठी के दिन अधिवास के बाद मां का दरबार श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। दुर्गाबाड़ी, कालीबाड़ी, एनई रेलवे बालक इंटर कालेज, लोको ग्राउंड, दीवान बाजार सहित अनेक पंडालों में श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया। समितियों के स्वयंसेवकों ने उन्हें कोविड प्रोटोकाल के साथ दर्शन कराने की कोशिश की।

दुर्गाबाडी में 40 फिट की दूरी से हो रहा दर्शन

दुर्गाबाड़ी में मां के मंडप से 40 फीट की दूरी से दर्शन कराया गया। स्थानीय रीति-रिवाज से जहां मां की पूजा-अर्चना होती है, उनमें भी ज्यादातर जगहों पर मूर्तियों की स्थापना हो गई, लेकिन उनका चेहरा कपड़े से ढंका हुआ है, जो सप्तमी को सायं पूजन-अर्चन के बाद खुलेगा। इसके बाद सभी पूजा पंडालों में दर्शन-पूजन शुरू हो जाएगा। घरों व मंदिरों में मां की आराधना की गई। दुर्गा सप्तशती का पाठ गूंज रहा था। माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

महाष्टमी व्रत कल

पं. शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि 12 अक्टूबर को सप्तमी तिथि संपूर्ण दिन और रात्रि 1:49 बजे तक है। महाष्टमी व्रत 13 अक्टूबर को होगा। इसी दिन संधि पूजा रात 11:18 से 12:06 के बीच की जाएगी। 14 अक्टूबर को मां दुर्गा के पूजन-अर्चन एवं हवन के लिए सूर्योदय से रात्रि 9:53 बजे तक समय उत्तम है। नवरात्र व्रत का पारण दशमी तिथि में 15 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद किया जाएगा।

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