मुख्यमंत्री से मिले दवा व्यापारी, की उत्‍पीड़न की शिकायत

दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे व महामंत्री आलोक चौरसिया ने बताया कि दवा की दुकानें ज्‍यादा हैं और फार्मासिस्‍टों की संख्‍या उसके मुकाबले कम है। ऐसे में दवा की सभी दुकानों पर फार्मासिस्‍ट नहीं बैठ सकते हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST)
मुख्यमंत्री से मिले दवा व्यापारी, की उत्‍पीड़न की शिकायत
मुख्‍य मंत्री योगी आदित्‍यनाथ की फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। फार्मासिस्ट मुद्दे को लेकर दवा व्यापारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। प्रदेश में फार्मासिस्टों की उपलब्धता के मुकाबले दवा की ज्यादा दुकानों की जानकारी दी। फार्मासिस्टों की ओर से दवा विक्रेताओं को लगातार प्रताडि़त करने के बारे में भी मुख्यमंत्री को बताया।

फार्मासिस्‍ट कम दुकानें ज्‍यादा

दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे व महामंत्री आलोक चौरसिया ने बताया कि दवा की दुकानें ज्‍यादा हैं और फार्मासिस्‍टों की संख्‍या उसके मुकाबले कम है। ऐसे में दवा की सभी दुकानों पर फार्मासिस्‍ट नहीं बैठ सकते हैं। फार्मासिस्ट न होने के कारण प्रशासनिक कार्रवाई से दवा दुकानदार परेशान हैं।

प्रदेश में 1.75 दवा की दुकानें पंजीकृत

प्रदेश में 1.75 लाख से ज्यादा दवा की दुकानें हैं। इसके अनुपात में 64 साल में अब तक तकरीबन दो लाख फार्मासिस्ट पंजीकृत हुए हैं। इनमें से तीस फीसद लोग अब सेवा में नहीं हैं, 20 फीसद फार्मासिस्ट दूसरे प्रदेशों की दवा फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं, 30 फीसद फार्मासिस्ट सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में काम कर रहे हैं। बचे 10 फीसद यानी तकरीबन 17 हजार पांच सौ ही मेडिकल स्टोर पर काम करने के लिए उपलब्ध हैं। ज्यादा दुकान और कम फार्मासिस्ट होने के कारण दवा व्यापारियों का उत्पीडऩ हो रहा है। फार्मासिस्ट पूरे साल का वेतन एकमुश्त मांगते हैं और दुकान पर रहते भी नहीं हैं। 

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