कोरोना संकट काल में इंसानियत का फर्ज निभाते रहे डा. नरेंद्र
वैश्विक महामारी के इस जंग में जब कोरोना योद्धा की चर्चा होगी तो डा. नरेंद्र कुमार गुप्ता का जिक्र जरूर आएगा। चिकित्सक की तौर पर वह जो कर रहे हैं वह नौकरी की अनिवार्यता से ऊपर उठकर मनुष्यता की रोशन मिसाल बन गया है।
महराजगंज: कोरोना वायरस को लेकर जब सबको अपने लिए चिता लगी है, तो कुछ योद्धा ऐसे भी हैं, जो खुद की परवाह किए बिना कोरोना मरीजों के चेहरे पर मुस्कान लाकर इंसानियत का फर्ज निभाते रहे।
वैश्विक महामारी के इस जंग में जब कोरोना योद्धा की चर्चा होगी तो डा. नरेंद्र कुमार गुप्ता का जिक्र जरूर आएगा। चिकित्सक की तौर पर वह जो कर रहे हैं, वह नौकरी की अनिवार्यता से ऊपर उठकर मनुष्यता की रोशन मिसाल बन गया है। 10 जुलाई 2018 से घुघली ब्लाक के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरपुर महंथ में तैनात गोरखपुर के भावापार निवासी डा. नरेंद्र कुमार पिछले साल वर्ष 2020 में पुरैना कोविड अस्पताल में मरीजों की जिंदगी लौटने का काम किया। करीब एक माह से स्वजन से दूरी बनाए रखें। वीडियो काल से स्वजन से होती रही बात
डा. नरेंद्र वीडियो काल के द्वारा पत्नी स्वेतांबरा और चार वर्ष की बेटी सताक्षी और माता विमला देवी, पिता डा. शंभू नारायण से बात कर मन को तसल्ली कर लेते थे। उन्होंने कहा कि मरीजों की सेवा ही हमारी प्राथमिकता है। हमने मरीजों को अपने परिवार का सदस्य समझकर इलाज किया। फोन पर मरीजों को देते रहे सलाह
इस बार कोरोना संक्रमण में ओपीडी बंद होने पर फोन पर मरीजों को सलाह देने के लिए वह अपना नंबर नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरपुर महंथ पर चस्पा करा दिए थे। लोगों को फोन पर ही सलाह देते थे। भैंसी निवासी अवधेश वर्मा ने कहा कि मुझे कोरोना हुआ था। डा. नरेंद्र गुप्ता ने फोन पर ही मुझे दवाएं घर तक भेजवाया और खान-पान के लिए सलाह उचित सलाह दी। टीकाकरण के लिए लोगों को किया प्रेरित
डा. नरेंद्र मुस्लिम बाहुल्य गांवों में जाकर टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित किए और लोगों को समझाएं, जिस पर सभी लोग लाइन में लग अपनी बारी का इंतजार कर टीकाकरण करा रहे हैं।