सोना नहीं हुआ सोंणा, सिर्फ 10 फीसद कारोबारियों ने लिया हालमार्क का लाइसेंस

भारतीय मानक ब्यूरो ने 16 जून से गोल्ड ज्वेलरी पर हालमार्किंग की अनिवार्यता की थी लेकिन गोरखपुर में तीन हालमार्किंग सेंटर होने के बावजूद डेढ़ माह बाद भी सिर्फ 10 फीसद कारोबारियों ने लाइसेंस लिया है। बीआइएस की टीम सर्राफा की दुकानों पर छापामारी की कार्रवाई शुरू कर सकती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 08:05 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 02:20 PM (IST)
सोना नहीं हुआ सोंणा, सिर्फ 10 फीसद कारोबारियों ने लिया हालमार्क का लाइसेंस
गोल्ड ज्वेलरी पर हालमार्किंग की अनिवार्यता होने के बाद भी ज्वेलर्स हालमार्क का लाइसेंस नहीं ले रहे हैं।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने 16 जून से गोल्ड ज्वेलरी पर हालमार्किंग की अनिवार्यता की थी, लेकिन सर्राफा कारोबारी हालमार्क का लाइसेंस लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। शहर में तीन हालमार्किंग सेंटर होने के बावजूद डेढ़ माह बाद भी सिर्फ 10 फीसद कारोबारियों ने लाइसेंस लिया है। दो अगस्त से बीआइएस की टीम सर्राफा की दुकानों पर छापामारी की कार्रवाई शुरू कर सकती है।

16 जून से लागू की गई थी गोल्ड ज्वेलरी पर हालमार्किंग की व्यवस्था

गोरखपुर जिले में छोटे-बड़े मिलाकर करीब एक हजार सर्राफा की दुकानें हैं। इनमें अकेले सर्राफा बाजार में पांच सौ से ज्यादा दुकानें हैं, लेकिन शुक्रवार तक सिर्फ 98 कारोबारियों ने हालमार्किंग के लिए लाइसेंस लिया है। बीअाइएस के नियमों के मुताबिक बिना लाइसेंस गोल्ड ज्वेलरी बेचने या बिना हालमार्क वाले ज्वेलरी बेचने पर कारोबारी के खिलाफ माल जब्ती, पांच लाख रुपये तक जुर्माना और जेल का प्रावधान किया गया है।

घंटाघर स्थित एबी हालमार्क सेंटर के संचालक पवन वर्मा ने बताया कि जागरूकता के अभाव में कारोबारी हालमार्क का लाइसेंस लेने में कतरा रहे हैं, जबकि उन्हें अच्छी तरह पता है कि सोमवार से बिना हालमार्क वाली ज्वेलरी बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाएगा। ऐसे में बीआइएस की टीम छापा मारती है तो कारोबारी को जुर्माना भरने के साथ जेल भी जाना पड़ सकता है। सर्राफा मंडल के अध्यक्ष पंकज गोयल ने बताया कि हालमार्क लाइसेंस के लिए दुकान-दुकान जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस माह के अंत तक अधिकांश दुकानदार लाइसेंस के लिए पंजीकरण करा लेंगे।

शुद्धता की गारंटी देता है दुकानदार

24 कैरेट का सोना पूरी तरह शुद्ध माना जाता है। इसमें सर्राफा कारोबारी 99.9 फीसदी शुद्धता की गारंटी देता है। 22 कैरेट में 91.6 फीसदी और 18 कैरेट में 75 फीसदी शुद्धता की गारंटी दी जाती है। बिना हालमार्किंग वाले ज्वेलरी बेचने पर कारोबारी ग्राहक से पूरी शुद्धता का पैसे लेता है, लेकिन जब ग्राहक उसे बेचने जाता है तो 15 फीसद तक का नुकसान उठाना पड़ता है।

आप भी जानें हालमार्किंग के फायदे

हालमार्किंग वाले गहने सौ फीसद शुद्ध माने जाते हैं।

हालमार्किंग में सोना कई चरणों में गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।

जब ग्राहक इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह का अतिरिक्त चार्ज नहीं काटा जाएगा।

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