डाक्टरों की चेतावनी, हर मरीज को नहीं होती आक्सीजन की जरूरत- शरीर में अधिक ऑक्‍सीजन से भी होती है परेशानी

डाक्‍टरों के अनुसार कोरोना के हर मरीज को आक्‍सीजन की जरूरत नहीं पड़ती है । मरीज की स्थिति के अनुसार आक्सीजन का दबाव तय होता है लेकिन ज्यादा आक्सीजन देने के चक्कर में शरीर से कार्बन डाइ आक्साइड सीओटू भी निकाल दे रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 10:00 AM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 10:00 AM (IST)
डाक्टरों की चेतावनी, हर मरीज को नहीं होती आक्सीजन की जरूरत- शरीर में अधिक ऑक्‍सीजन से भी होती है परेशानी
हर मरीज को ऑक्‍सीजन की जरूरत नहीं होती है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। कोरोना संक्रमण होने पर कई लोग घर में ही आक्सीजन सिलेंडर रखकर इलाज शुरू कर दे रहे हैं। यह जाने बिना कि मरीज को आक्सीजन की जरूरत है भी या नहीं, आक्सीजन सिलेंडर की लाइन लगा दे रहे हैं। मरीज की स्थिति के अनुसार आक्सीजन का दबाव तय होता है लेकिन ज्यादा आक्सीजन देने के चक्कर में शरीर से कार्बन डाइ आक्साइड सीओटू भी निकाल दे रहे हैं।

यह स्थिति कोरोना संक्रमण से भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है। शरीर में ज्यादा आक्सीजन बढ़ने और सीओटू कम होने से मरीज कोमा में जा सकता है और कभी-कभी मौत भी हो सकती है। डाक्टरों का कहना है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श और चिकित्सकीय निगरानी में आक्सीजन का इस्तेमाल शरीर को और नुकसान पहुंचा सकता है।

अस्थमा के कुछ मरीजों को होती है आक्सीजन की जरूरत

अस्थमा के कुछ मरीजों को आक्सीजन की हमेशा जरूरत पड़ती है। इसे लांग टर्म आक्सीजन थेरेपी यानी एलटीओटी कहते हैं। ऐसे मरीजों को डाक्टर घर पर ही आक्सीजन रखने की सलाह देते हैं। साथ ही आक्सीजन का दबाव भी पहले से निर्धारित कर देते हैं। यानी मरीज को किस दबाव में आक्सीजन देनी है। मरीज के स्वजन को अस्पताल में ही आक्सीजन सिलेंडर के रेग्युलेटर के इस्तेमाल की जानकारी दे दी जाती है। यदि मरीज के स्वजन सक्षम हैं तो वह आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन खरीदकर इसका इस्तेमाल करते हैं।

स्वस्थ हैं तो 93 के नीचे एसपीओटू चिंता की बात

डाक्टरों का कहना है कि यदि मरीज को पहले से सांस की कोई बीमारी नहीं है तो 93 तक शरीर में आक्सीजन का स्तर खतरनाक नहीं माना जाता है। इसके नीचे आक्सीजन का स्तर जाने की स्थिति बन रही तो डाक्टर के पास जाएं क्योंकि आक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। कभी-कभी इस स्थिति में भी स्टेरायड का इस्तेमाल कर या आक्सीजन बढ़ाने के लिए पेट के बल, दाएं या बाएं करवट लेटने से राहत मिल जाती है। पहले से सांस के मरीजों में 90 तक आक्सीजन का स्तर बहुत खराब नहीं माना जाता है।

बाजार में नहीं मिल रहा सिलेंडर

एक तरफ जहां कुछ लोग बिना जरूरत भविष्य में दिक्कत की आशंका में आक्सीजन सिलेंडर घर में इकट्ठा करते जा रहे हैं वहीं कई लोग आक्सीजन बिना असमय काल कवलित हो रहे हैं। डाक्टर लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि सिलेंडर का स्टाक न करें, ऐसा करने से जरूरतमंदों के इलाज में समस्या खड़ी हो रही है।

सबको यदि आक्सीजन की जरूरत होती तो हर घर में इससे पहले ही आक्सीजन सिलेंडर रखा जाता है। यह बात जान लेनी चाहिए कि कोरोना संक्रमण होने के बाद भी सिर्फ 10-15 फीसद लोगों को ही आक्सीजन की जरूरत होती है, बाकी लोग बिना आक्सीजन ठीक हो जाते हैं। आक्सीजन का बिना जरूरत या बिना जानकारी इस्तेमाल जानलेवा भी हो सकता है। - डा. आसिफ शकील, कार्डियोलाजिस्ट

शरीर में आक्सीजन के साथ 35-40 फीसद कार्बन डाइआक्साइड भी जरूरी है। ज्यादा आक्सीजन शरीर में जाने से सीओटू कम होने लगता है। मरीज कोमा में जा सकता है। एलटीओटी को छोड़कर बिना डाक्टर की सलाह किसी भी हाल में अपने मन से आक्सीजन न लें। कोरोना संक्रमण होने बिना डरे अपने डाक्टर से परामर्श लें और पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन का स्तर देखते रहें। - डा. रत्नेश तिवारी, चेस्ट फिजिशियन।

chat bot
आपका साथी