Corona Fighters: संकट के समय में बचा रहे मरीजों की जान, लड़ रहे कोरोना से जंग Gorakhpur News
Corona Fighters उप चिकित्सा अधीक्षक का दायित्व संभालने के अलावा वह सप्ताह में दो-तीन मरीजों का आपरेशन भी कर रहे हैं। इस दौरान पूरी सतर्कता बरतते हैं। हर मरीज को कोराना संक्रमित मानकर कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए आपरेशन करते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। कोविड के समय में नान कोविड मरीजों के सामने बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है। ओपीडी बंद हो चुकी है, सामान्य मरीजों का भी इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों, जिनका आपरेशन होना जरूरी है, उनके लिए जिला अस्पताल के सर्जन डा. एके श्रीवास्तव हर समय तैयार हैं। उप चिकित्सा अधीक्षक का दायित्व संभालने के अलावा वह सप्ताह में दो-तीन मरीजों का आपरेशन भी कर रहे हैं। इस दौरान पूरी सतर्कता बरतते हैं। हर मरीज को कोराना संक्रमित मानकर कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए आपरेशन करते हैं। बचाव व सतर्कता के चलते अभी तक वह संक्रमित नहीं हुए हैं।
डा. श्रीवास्तव का कहना है कि जिनका आपरेशन टाला जा सकता है, उनसे कोरोना संकट समाप्त होने का इंतजार करने को कहा जा रहा है। लेकिन जो निहायत ही जरूरी है, वह आपरेशन करना मरीज की जान बचाने के लिए आवश्यक है। कोरोना ही नहीं हर तरह की महामारी व वायरस से लडऩे की हमें ट्रेङ्क्षनग दी जाती है। हमारी पूरी शिक्षा-दीक्षा इसी समय के लिए होती है। यही हमारी पढ़ाई की असली परीक्षा है। ऐसे संकट के समय अपने कर्तव्य से भाग जाना फेल होने के बराबर है, जो मंजूर नहीं है। मुझे कोरोना से भी बचना है और मरीज की जान भी बचानी है। यह चुनौतीपूर्ण समय है। पूरे चिकित्सा जगत ने यह चुनौती स्वीकार की है। हम लोग कोरोना से लड़ रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि अंतत: यह जंग हम जीतेंगे।
कोरोना संक्रमित हुए इंस्पेक्टर का मकान मालिक ने अपनों से ज्यादा रखा ख्याल
बढ़ते कोरोना संक्रमण से हर कोई खौंफजदा है। लोग किसी की मदद से भी कतरा रहे हैं।लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं जिसने इंसानियत की मिशाल पेश की। गोरखपुर एसएसपी के पीआरओ रहे इंस्पेक्टर मनोज पाठक इस समय गुलरिहा के थानेदार हैं। 28 दिन पहले वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे।डाक्टर की सलाह पर होम आइसोलेट हो गए। मकान मालिक को जानकारी हुई तो रिपोर्ट निगेटिव आने तक उनका पूरा ख्याल रखा। समय से दवाई, भोजन व काढ़ा पहुंचाने के साथ ही उनका हौंसला बढ़ाते रहे। मूल रुप से कन्नौज के रहने वाले मनोज पाठक का परिवार कानपुर में रहता है। इस समय उनकी पत्नी बेंगलुरु में बेटे के पास है। गुलरिहा थाने का प्रभारी बनाए जाने से पहले मनोज पाठक कैंट क्षेत्र के दाउदपुर निवासी विकास दूबे के घर किराए पर कमरा लेकर रहते थे। सात अप्रैल को तबीयत बिगडऩे पर उन्होंने डाक्टर की सलाह पर कोरोना जांच कराई, रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उसी दिन से होम आइसोलेट हो गए।मनोज पाठक उस समय एसएसपी के पीआरओ थे। वह बताते हैं कि मकान मालिक विकास दूबे को इसकी जानकारी हुई तो कमरे पर पहुंचे। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए हालचाल जाना। वाट््सएप पर डाक्टर का पर्चा मंगाकर दवाई और जरूरत का सामान ले आए। 20 अप्रैल को रिपोर्ट निगेटिव आने तक रोजाना सुबह, दोपहर और शाम को काढ़ा, जूस और भोजन खुद पहुंचाते रहे।इस बीच पत्नी व बच्चों से फोन पर बातचीत होती रही।लेकिन मकान मालिक ने यह कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वह घर और परिवार से दूर हैं।मुश्किल वक्त में मिला उनका सहयोग जीवन भर नहीं भूलेगा।