कोरोना के लक्षणों को न करें नजरअंदाज, आक्सीजन लेवल चेक करते रहें वरना होगा यह नुकसान Gorakhpur News
कोरोना वायरस का लक्षण दिखने के बाद लापरवाही बरतना घातक हो सकता है। लक्षण दिखने के बाद शरीर के आक्सीजन लेबल को लगातार चेक करना चाहिए।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से हो रही मौतों की सबसे बड़ी वजह लापरवाही है। लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे लोग मौत का खतरा मोल लेते हैं। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज सहित अन्य अस्पतालों में कोरोना से जिनकी भी मौत हुई, उनमें से ज्यादातर लोग गंभीर स्थिति में पहुंचे थे। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन तब तक बीमारी बहुत बढ़ गई थी। इसलिए पहले से सावधान हो जाने की जरूरत है।
कई बार ऐसा होता है कि हल्का बुखार, सर्दी-जुकाम हुआ। बाजार से दवा लेकर खाने लगे। पता भी नहीं चलता और ऑक्सीजन लेवल धीरे-धीरे कम होने लगता है। काफी कम होने के बाद सांस फूलने का लक्षण नजर आता है। ऑक्सीजन लेवल कम होने से किडनी, हार्ट, लीवर आदि महत्वपूर्ण अंग फेल होने लगते हैं। मेडिकल साइंस में इसे मल्टी आर्गन फेल्योर कहा जाता है। ऐसी स्थिति में पहुंच जाने के बाद मरीज बड़ी मुश्किल से बच पाता है। इसलिए हल्का भी लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।
मेडिकल कॉलेज में जिनकी भी मौत हुई, उनमें से ज्यादातर लोग बहुत ही गंभीर अवस्था में लाए गए थे। उन्हें बचाने की डॉक्टरों ने भरपूर कोशिश की। दिन-रात मेहनत की गई। बाहर के डॉक्टरों से भी टेली मेडिसिन के जरिये परामर्श लिया गया। इलाज के सभी संसाधन उपलब्ध कराए गए। - डॉ. गणेश कुमार, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
ऑक्सीजन लेवल जरूर चेक कराते रहना चाहिए। शरीर पूरी तरह स्वस्थ दिखती है। हल्का सर्दी-जुकाम होता है, ऐसे में भी ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और पता नहीं चलता। जब काफी कम हो जाता है तो सांस फूलने लगती है। इसलिए थोड़ी भी तबीयत खराब होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। - डॉ. अश्विनी मिश्रा, अध्यक्ष, टीबी एवं चेस्ट विभाग, मेडिकल कॉलेज
कोरोना मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज में पहुंचा रेमडेसिविर इंजेक्शन
अभी तक बाजार से खरीदनी पड़ रही कोरोना की अच्छी दवा अब बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना के गंभीर मरीजों को मुफ्त मिलेगी। 75 वायल रेमडेसिविर इंजेक्शन शासन ने भेज दिया है। इसका बाजार मूल्य 3600 से 4000 के बीच है। यह इंजेक्शन लगभग 20 दिन पहले से बाजार में उपलब्ध है। कीमत अधिक होने से गरीब मरीजों के इसे खरीदना मुश्किल था, हालांकि दवा विक्रेता समित ने प्रिंट मूल्य से कम पर उपलब्ध कराने का वादा किया था। अब शासन द्वारा मेडिकल कॉलेज को भेजे गए इस इंजेक्शन से गरीबों मरीजों का भी आसानी से इलाज संभव हो सकेगा। पिछले दिनों इस इंजेक्शन के कालाबाजारी की शिकायत मिली थी तो शासन ने औषधि विभाग को इस पर नजर रखने का निर्देश दिया था। मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्विनी मिश्रा का कहना है कि कि इस इंजेक्शन के अभी तक कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं। गंभीर मरीजों के लिए यह बहुत ही कारगर है।