गोरखपुर में तैयार किए जाएंगे गोबर के दीये और गमले Gorakhpur News
गोबर से दीप गमले अगरबत्ती सहित तमाम उत्पाद बनाए जाएंगे। ऐसे ही गोमूत्र से कीटनाशक गोअर्क आदि तैयार किया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। गौ माता की सेवा से लोग मेवा प्राप्त करते रहे हैं, अब गो मूत्र और गोबर से रोजगार भी मिलेगा। गोबर से दीप, गमले, अगरबत्ती सहित तमाम उत्पाद बनाए जाएंगे। ऐसे ही गोमूत्र से कीटनाशक, गोअर्क आदि तैयार किया जाएगा। इसकी बिक्री के लिए आयुर्वेदिक कंपनी व महाराष्ट्र के गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार से संपर्क किया जाएगा।
जिले में 30 गोआश्रय स्थल में ढाई हजार गोवंश
जिले के एक वृहद गोआश्रय स्थल, 24 काजी हाउस सहित करीब 30 गोआश्रय स्थल है। यहां करीब ढाई हजार से अधिक गोवंश हैं। इनसे गो आश्रय स्थलों में बड़े पैमाने पर गोबर व गोमूत्र निकलता है। करीब दो वर्षों से उपयोग न आने के कारण यह बेकार जा रहा है और आश्रय स्थलों में गंदगी अलग से फैल रही है। ऐसे में पशु चिकित्सा विभाग ने महाराष्ट्र के गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार में गो उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके विश्वंभर राय उर्फ विष्णु से वार्ता किया है। उनके सहयोग से विभाग राष्ट्रीय अजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को गोबर व गोमूत्र के उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित भी करेगा।
गोबर के उत्पाद का इन्होंने दिया है प्रशिक्षण
विश्वंभर राय शहर के अधियारी बाग के निवासी हैं और वह यहां कई गो आश्रय स्थलों पर गोबर के उत्पाद बनाए जाने क प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। उनका कहना है कि बाजार के लिए कई आयुर्वेदिक कंपनियों से वार्ता भी हुई थी, लेकिन कंपनियों को बड़े पैमाने पर उत्पाद की जरूरत थी, इस लिए बात आगे नहीं बढ़ सकी। उनका कहना है कि गौआश्रय स्थलों में गोवंश की संख्या अधिक होने से उत्पाद भी बड़े पैमाने पर तैयार हो सकेगा। उनका कहना है कि देवलापार में गोबर व गोमूत्र से वर्मी कंपोस्ट, जैविक कीटनाशक, गोअर्क, धूपबत्ती, दंतमंजन, गोबर के गमले, हवन के लिए सामग्री, प्रतिमाएं तैयार की जाती हैं। इसकी देश-विदेश बड़े पैमाने पर मांग है। ऐसे में यहां उत्पाद बनाने के बाद आयुर्वेदिक कंपनियों के साथ-साथ देवलापार के गो विज्ञान केंद्र से भी संपर्क स्थापित किया जाएगा।
ऐसे देंगे योजना को गति
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ डीके शर्मा का कहना है कि इसके लिए राष्ट्रीय अजीविका मिशन की महिला समूहों से वार्ता किया जाएगा। उन्हें गोबर के उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। सबकुछ ठीकठाक रहा तो प्रारंभ में कुछ रक्षाबंधन तैयार कर उसकी बाजार में बिक्री की जाएगी। गणेश जी की मूर्तियां बनवाकर उसे बाजार में बेंचा जाएगा। इसके साथ ही दीपावली के लिए एक लाख दिये तैयार किये जाएंगे और उसकी बाजार में बिक्री की जाएगी।