दिव्यांग ने गोसेवा को बनाया जीवन का ध्येय, बेसहारा पशुओं के बने सहारा

लॉकडाउन में बेसहारा पशुओं के लिए सहारा बन रहा एक दिव्यांग सेवा के बने मिसाल

By Edited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 09:38 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 09:38 AM (IST)
दिव्यांग ने गोसेवा को बनाया जीवन का ध्येय, बेसहारा पशुओं के बने सहारा
दिव्यांग ने गोसेवा को बनाया जीवन का ध्येय, बेसहारा पशुओं के बने सहारा

गोरखपुर, जेएनएन : ²ढ़ इच्छाशक्ति हो तो समर्थवान को छोड़िए दिव्यांग भी दूसरों का सहारा बनकर मदद व सेवा के लिए खड़ा हो सकता है। ऐसा ही एक व्यक्ति जो गिरकर दिव्यांग ह़ो गया और अब बेसहारा बेजुबानों को सहारा देकर निराश्रित गोवंश के मसीहा बने बैठे हैं। सिद्धार्थनगर जनपद के विकास खंड खुनियांव के अंतर्गत खुरहुरबंदी गांव निवासी दिव्यांग सत्यप्रकाश त्रिपाठी बेसहारा पशुओं की मदद में आगे आकर समाज को आइना दिखा रहे हैं। उनकी दैनिक दिनचर्या पशुओं से ही शुरू होती है और उन्हीं के साथ समाप्त। उनके गोशाला में 21 बेसहारा पशु हैं जिनकी नियमित देखभाल वह करते हैं। ........ ऐसे हुए दिव्यांग- सत्यप्रकाश पहले प्राथमिक विद्यालय में प्रेरक थे, लेकिन प्रेरकों की संविदा न बढ़ने से बेरोजगार हो गए। 2 साल पहले सोते समय तख्त से गिरे तो दाहिने हाथ का कंधा टूट गया, जिसका हर जगह इलाज कराया, लेकिन दिव्यांगता बनी रही। -- प्रेरक से बने गोसेवक- बताते हैं कि खुद को व्यस्त रखने के लिए गो पालन की इच्छा घर वालों के समक्ष रखी। साढ़े दस हजार में एक गाय खरीदी, लेकिन दुर्भाग्य कि गाय खरीदने के 28 वे दिन बच्चा जनने के बाद दोनों चल बसे। उस वक्त खेतों में घूम रहे बेसहारा पशुओं को सहारा देने का ख्याल आया। एक-एक कर सीधी -साधे छुट्टा पशुओं का संग्रह करना शुरू किया और कब कुल 21 गायों को अपने खर्चे से रखे हुए हैं। दाना- पानी- भूसा देने के साथ साथ गोशाले की सफाई भी वह खुद ही करते हैं। टिनशेड व हौद डालकर एक-एक कमरे में दो गोवंश रखे जाते हैं। कुछ गायें जो दूध देती हैं गांव के लोग उनका दूध निश्शुल्क ले जाते हैं।

chat bot
आपका साथी