आषाढ़ी पूर्णिमा पर मना धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस, सुत्त का किया पाठ

आषाढ़ी पूर्णिमा पर कुशीनगर में विविध आयोजन हुए

By Edited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 10:44 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 08:12 AM (IST)
आषाढ़ी पूर्णिमा पर मना धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस, सुत्त का किया पाठ
आषाढ़ी पूर्णिमा पर मना धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस, सुत्त का किया पाठ

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर स्थित श्रीलंका बुद्ध विहार कुशीनगर में बौद्धों ने रविवार को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस मनाया। प्रारंभ में बौद्ध भिक्षुओं ने धम्म च्रक्र प्रवर्तन सुत्त का पाठ किया। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भिक्षु नंदरतन ने कहा कि आषाढ़ी पूर्णिमा विश्व के बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन सिद्धार्थ गौतम ने माता महामाया की कोख में गर्भ धारण किया था, उन्होंने लोक कल्याण के लिए गृह त्याग किया था। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने सारनाथ में प्रथम धर्मोपदेश दिया था। आज के ही दिन अजातशत्रु के शासन काल में बिहार के राजगीर में प्रथम बौद्ध संगीत का आयोजन करवाया था। कहा कि बुद्ध के बताए मार्ग पर चल कर ही विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। भदंत ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार में भिक्षु महेंद्र की अध्यक्षता में आषाढ़ी पूर्णिमा मनाई गई। महापरिनिर्वाण बुद्ध विहार में तथागत की लेटी प्रतिमा पर चीवर चढ़ाया गया। भंते मुलायम, भंते आलोक, भंते यशपाल, भंते नंदिया, भंते तेजेंद्र, भंते कुमार कश्यप, भिक्षुणी रूपानंदा, भंते गांधी, टीके राय, मोरिन राय, मल्लिका, सुबोध कुमार आदि उपस्थित रहे। गुरु पूर्णिमा पर हुआ हवन-पूजन शिष्य के सफलता में गुरु का अहम योगदान होता है। इसीलिए गुरु को ब्रह्मा, विष्णु व महेश से ऊपर का दर्जा दिया गया है। बिना किसी भेदभाव के गुरु अपने शिष्यों के प्रति पूरी तरह से समर्पित भाव से शिक्षा-दीक्षा देकर उन्हे योग्य नागरिक बनाता है। यह बातें भारत स्वाभिमान समिति के जिला प्रभारी सुभाष ¨सह ने कही। वह रविवार को गुरु पूर्णिमा पर गुरु के प्रति आदर भाव से पूजन हवन कर रहे थे। कहा कि जीवन को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने वाला निस्वार्थ व्यक्तित्व के धनी गुरु की महत्ता शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती है। अखिलेश व संचित ने शिक्षकों की महत्ता पर प्रकाश डाला। हवन पूजन में आदर्श, सौभ्या, आयुष आदि मौजूद रहे।

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