Shardiya Navratri 2021: घंटा-घड़ियाल की ध्वनि व वैदिक मंत्रोच्चार से गूंजे देवी मंदिर

Shardiya Navratri 2021 शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को देवी मंदिरों में भीड़ उमड़ी। लोगों ने भक्ति भाव से मां भगवती की आराधना की। मंदिरों व घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। घंटा-घड़ियाल व वैदिक मंत्रोच्चार गूंज रहे थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 11:48 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 11:48 AM (IST)
Shardiya Navratri 2021: घंटा-घड़ियाल की ध्वनि व वैदिक मंत्रोच्चार से गूंजे देवी मंदिर
शारदीय नवरात्र पर गोरखपुर के मंद‍िरों में भारी भीड़ रही। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को देवी मंदिरों में भीड़ उमड़ी। लोगों ने भक्ति भाव से मां भगवती की आराधना की। मंदिरों व घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। घंटा-घड़ियाल व वैदिक मंत्रोच्चार गूंज रहे थे। माहौल भक्तिमय हो गया है।

व्रत रहकर की मां की आराधना

सुबह से ही घरों व मंदिरों में भक्ति का माहौल है। साफ-सफाई कर पुरोहित की सहायता से कलश स्थापित किए गए, ध्वजारोहण हुआ। कुछ श्रद्धालुओं ने पूरे नवरात्र तथा कुछ ने प्रथम दिन व अष्टमी के दिन व्रत रहने का संकल्प लिया। प्रथम दिन श्रद्धालुओं ने मां शैलपुत्री की आराधना की। सायं भी भगवती की पूजा-अर्चना कर अपनी आस्था व श्रद्धा निवेदित करेंगे।

देवी मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है। कुछ श्रद्धालु सपरिवार तरकुलहा देवी, बुढ़िया माता मंदिर व लेहड़ा देवी स्थान गए और दर्शन-पूजन किया। साथ ही शहर के काली मंदिर गोलघर, दाउदपुर व रेती चौक तथा समय माता मंदिर तुर्कमानपुर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे हैं। मंदिरों के सामने पूजन सामग्रियों, मिठाई, गुब्बारे व खिलौनों की दुकानें सजी हैं। मेला का दृश्य है।

महाष्टमी 13 को

महाष्टमी व्रत 13 अक्टूबर को है। इस दिन सूर्योदय 6:14 बजे और अष्टमी तिथि रात्रि 11:42 बजे तक है। इसी दिन महाष्टमी व्रत रहा जाएगा। इसी दिन महानिशा पूजा भी होगी। 14 को महानवमी व्रत है। 15 अक्टूबर को विजयादशी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा।

वर्ष में होते हैं चार नवरात्र

वर्ष में कुल चार नवरात्र माने जाते है। वर्गीकरण में दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त कहे जाते है। प्रत्यक्ष नवरात्र आश्विन और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में होते है। इसी प्रकार गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में होते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्र में घर पर देवी की उपासना का सर्वाधिक महत्व है। गुप्त नवरात्रों का महत्व शक्तिपीठों पर है। - पं. शरदचंद्र मिश्र, अध्यक्ष, रिलीजियस स्कालर्स सोसाइटी।

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