श्रीराम के जन्म से जुड़ा पौराणिक स्थल तीर्थ क्षेत्र में शामिल न होने से विकास कार्य सुस्त

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से 24 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में मनोरमा नदी के तट पर मखक्षेत्र मखौड़ा धाम मंदिर स्थित है। पुराणों के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ का कोई संतान नहीं था। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से उन्होंने मखौड़ा धाम में श्रृंगी ऋषि ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST)
श्रीराम के जन्म से जुड़ा पौराणिक स्थल तीर्थ क्षेत्र में शामिल न होने से विकास कार्य सुस्त
श्रीराम के जन्म से जुड़ा पौराणिक स्थल तीर्थ क्षेत्र में शामिल न होने से विकास कार्य सुस्त

बस्ती: श्रीराम के जन्म से जुड़े कई पौराणिक स्थल हर्रैया तहसील में हैं। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाओं पर एक साथ काम शुरू हुआ पर तीर्थ क्षेत्र के सीमा विस्तार में इनके समाहित न होने के चलते इनकी गति मंद पड़ गई। यहां के लोगों को उम्मीद थी कि भगवान श्रीराम के जन्म के लिए किए गए याज्ञिक अनुष्ठान की पावन भूमि मखौड़ा, यज्ञ कराने वाले गुरु श्रृंगी ऋषि के आश्रम श्रृंगीनारी के साथ अयोध्या के उत्तरी द्वार पर बने हनुमानबाग मंदिर चकोही तथा श्रीरामजानकी मंदिर रामरेखा को तीर्थ क्षेत्र में शामिल कर विकास कार्य तेजी से होगा, लेकिन सीमा विस्तार में महज पांच से 10 किमी दूरी होने के बावजूद इन पौराणिक स्थलों को समाहित न करने से यहां चल रहे कार्यों की गति भी मंद है। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के निर्माण के साथ भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों का समुचित विकास हो तो इन स्थलों पर भारी संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे। हर्रैया क्षेत्र में भगवान श्रीराम से जुड़े पौराणिक स्थलों को यदि सीधे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र से जोड़ा जाए तो इन पौराणिक स्थलों के विकास और इनके आसपास बसे लोगों के रोजगार की प्रबल संभावना है। अयोध्या से जुड़े पौराणिक स्थलों में विशेष रुप से तहसील क्षेत्र के परशुरामपुर विकासखंड में भगवान श्रीराम के उत्पत्ति की कारक भूमि मखौड़ा धाम तथा श्रृंगीनारी में भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता देवी का मंदिर है। विक्रमजोत विकासखंड क्षेत्र में रामरेखा मंदिर और दुबौलिया में हनुमान बाग चकोही प्रमुख स्थल हैं। मखौड़ा का महत्व भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से 24 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में मनोरमा नदी के तट पर मखक्षेत्र मखौड़ा धाम मंदिर स्थित है। पुराणों के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ का कोई संतान नहीं था। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से उन्होंने मखौड़ा धाम में श्रृंगी ऋषि ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था। उसके बाद उनके चार पुत्रों के रूप में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। आज भी मखौड़ा धाम में लोग पुत्र की कामना लेकर यज्ञ व हवन-पूजन करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण भी होती है। श्रृंगीनारी मंदिर का महत्व श्रृंगीनारी स्थित शांता देवी मंदिर भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता देवी की तपोस्थली है। त्रेता युग में जिस समय मखौड़ा धाम में अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र कामेष्टि यज्ञ करा रहे थे, उस समय शांता देवी श्रृंगीनारी में पिता की यज्ञ पूर्ण हो, इसके लिए शक्ति स्वरूपा की पिडी स्थापित कर उपासना कर रही थीं। यहां आषाढ़- माघ के अंतिम मंगलवार को बड़ा मेला लगता है, जहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। रामरेखा मंदिर का महत्व अयोध्या से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर विक्रमजोत विकासखंड में अमोढा के पास रामरेखा मंदिर है। श्रीराम विवाह के बाद माता सीता के साथ अयोध्या लौटते समय यहां पर भगवान सपत्नीक विश्राम किए थे। उस समय माता सीता को प्यास लगी तो भगवान राम ने अपने बाण से एक रेखा खींची, जिससे एक धारा निकली, उस धारा को राम रेखा नदी के नाम से जाना जाता है।

हनुमान बाग चकोही अयोध्या से करीब 40 किलोमीटर दूर दुबौलिया ब्लाक में हनुमान बाग चकोही में हनुमानजी का मंदिर है। बताया जाता है कि त्रेता युग में रामराज्य के समय यह स्थान अयोध्या का उत्तरी द्वार था। इस द्वार की पहरेदारी हनुमानजी करते थे। पूर्व में इन स्थानों को श्रीराम सर्किट से जुड़ने की थी उम्मीद मखौड़ा मठ के पुजारी सूर्यनारायण दास वैदिक, श्रृंगीनारी राजूदास व हनुमानबाग मंदिर के पुजारी रामचन्द्र दास बताते हैं कि पहले उम्मीद थी कि इन पौराणिक स्थलों को सन्निकट होने के नाते अयोध्या तीर्थ क्षेत्र सीमा विस्तार में शामिल करने के साथ श्रीराम सर्किट परियोजना में लेकर इसे अयोध्या के साथ विकसित कर सीधे अयोध्या से फोरलेन सड़क से जोड़ा जाएगा। सीमा विस्तार में इन स्थानों को नहीं शामिल किया गया। कहा कि चौरासी कोसीय परिक्रमा पथ को फोरलेन बनाने की सरकार की घोषणा अभी मूर्त रूप नहीं ले रही है।

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