नगर विधायक ने कहा-असुरन चौराहे से मेडिकल कॉलेज तक नाले की विस्तृत सर्वेक्षण जरूरी Gorakhpur News

नगर विधायक ने कहा कि जलनिगम की ऐसी ही लापरवाही के कारण 30 अभियंताओं को शासन ने चार्जशीट दिया है। लोक निर्माण विभाग के अभियंता भी उसी ओर जा रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Wed, 18 Mar 2020 07:26 PM (IST) Updated:Wed, 18 Mar 2020 07:26 PM (IST)
नगर विधायक ने कहा-असुरन चौराहे से मेडिकल कॉलेज तक नाले की विस्तृत सर्वेक्षण जरूरी Gorakhpur News
नगर विधायक ने कहा-असुरन चौराहे से मेडिकल कॉलेज तक नाले की विस्तृत सर्वेक्षण जरूरी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर से मेडिकल रोड पर दोनों तरफ बन रहे नालों के आधा दर्जन बिंदुओं पर बार-बार जांच पर आपत्ति जताई । उन्होंने कहा कि इस तरह से जांच की जगह आवश्यक है कि असुरन चौराहे से लेकर मेडिकल कॉलेज तक दोनों तरफ के पूरे नाले का नए सिरे से थर्ड-पार्टी से विस्तृत सर्वेक्षण करा लिया जाए और उसके हिसाब से नालों को तोड़कर फिर से ड्रेनेज-लेबल के अनुसार नाले बनाए जाएं।

नवंबर से उठा रहे इस मामले को

नगर विधायक ने कहा कि नवंबर 2019 से यह विषय उठा रहे हैं कि मेडिकल रोड के नाले, मोहल्लों के नालों से बहुत ऊंचे हैं और सड़क बन जाने के बाद 10 वार्डों के हजारों नागरिकों के क्षेत्र में हमेशा स्थाई रूप से जलभराव रहेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा में भी यह विषय उठाया, उप-मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्या से बात भी की और उनकी अपर मुख्य सचिव ( पीडब्ल्यूडी) नितिन रमेश गोकर्ण, सचिव रंजन कुमार तथा इंजीनियर इन चीफ आरआर सिंह के साथ बैठक भी हुई, लेकिन अभी भी जांच ही चल रही है।

तीन बार हुई जांच, नहीं निकला नतीजा

डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि एक बार उनकी तथा उप नगर आयुक्त की उपस्थिति में पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने जांच की तो मेडिकल का नाला मोहल्लों के नालों से 80 सेमी ऊंचा पया गया। दोबारा नगर निगम के मुख्य अभियंता से जांच कराई तभी मेडिकल का नाला ऊंचा मिला। तीसरी बार नगर आयुक्त ने पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं के साथ जांच कराई तो बहुत स्पष्ट शब्दों में उन्‍होंने रिपोर्ट दी। 16 मार्च को रिपोर्ट देकर नगर आयुक्‍त ने लिखित रूप से कहा कि मेडिकल कॉलेज से लेकर असुरन चौराहे तक के आस-पास के सभी मोहल्लों में मेडिकल नाले के ऊंचे होने के कारण अभी से जलभराव होना शुरू हो गया है। पूरा नाला बनने के बाद तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी। नगर आयुक्त ने लिखित रूप से कहा है कि ह्यूम-पाईप निकाल कर खुले नाले बनाए जाएं। साथ ही नालों पर बनाई गई स्थाई छत हटाई जाए और नालों को तोड़कर नीचा किया जाए।

इस चेकिंग से क्‍या फायदा

नगर विधायक ने कहा कि आखिर बार-बार सिर्फ पांच-छह बिंदुओं पर लेवल चेकिंग से क्या मिलेगा। लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने निहायत गैर-जिम्मेदारी का परिचय दिया और वैज्ञानिक तौर-तरीके से नालों का लेबल निकाला ही नहीं। सबकुछ ठेकेदारों के हवाले कर दिया। अब वे अपनी गलती भी नहीं मान रहे हैं। हालांकि जिलाधिकारी ने उन्हें लिखित रूप से आदेशित किया था कि सारे ह्यूम-पाईप निकाल कर उसकी जगह खुले नाले बनाए जाएं और पूरे नाले का नगर निगम के साथ ज्वाइंट सर्वेक्षण करके नाले नये सिरे से बनाये जाएं, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अभियंता किसी की नही सुन रहे और पहले की तरह नालों का निर्माण बदस्तूर जारी है।

इसी तरह से जल निगम में हुई थी लापरवाही

नगर विधायक ने कहा कि जलनिगम की ऐसी ही लापरवाही के कारण 30 अभियंताओं को शासन ने चार्जशीट दिया है। लोक निर्माण विभाग के अभियंता भी उसी ओर जा रहे हैं। उन्होंने मंडलायुक्त से असुरन चौराहे से लेकर मेडिकल कॉलेज तक थर्ड-पार्टी विस्तृत सर्वेक्षण करा लेने के लिए कहा।

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