देवरिया कांड में एसआइटी ने पुलिस से मांगा ब्यौरा, किसके आदेश पर सुपुर्दगी में दी गईं लड़कियां
देवरिया कांढ में एसआइटी ने पुलिस से उन अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी है जिनके आदेश पर लड़कियों को बालगृह बालिका में भेजा गया या परिवार को सुपुर्द किया गया है। एसआइटी की इस मांग पर पुलिस का फंसना तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि उक्त जानकारी के लिए 24 घंटे का मोहलत दिया गया है।
गोरखपुर : देवरिया बाल गृह बालिका कांड का पर्दाफाश कर दो दिनों तक अपनी पीठ थपथपाने वाली देवरिया पुलिस अब खुद घिरती जा रही है। एसआइटी व एडीजी जोन ने जून 2017 से पांच अगस्त 2018 तक जनपद के विभिन्न थानों में बरामद लड़कियों की सुपुर्दगी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है। इसमें लड़कियों को बाल गृह बालिका में रखने और लड़कियों को उनके परिजनों को सौंपने का आदेश देने वाले अधिकारियों के नाम, पता, तिथि आदि का विवरण 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसे तैयार करने में पुलिस कर्मियों के पसीने छूट रहे हैं।
पांच अगस्त की रात बाल गृह बालिका में छापेमारी कर पुलिस ने बीस लड़कियों व तीन बच्चों को मुक्त कराने के साथ ही इस गृह से सेक्स रैकेट संचालित होने का मामला उजागर किया। दूसरे दिन इस मामले में गिरिजा त्रिपाठी व उसके पति मोहन त्रिपाठी को पुलिस ने जेल भेज दिया। तीसरे दिन कांड का पर्दाफाश करने का दावा करने वाली देवरिया पुलिस खुद फंसने लगी। उच्च न्यायालय व शासन के इस प्रकरण को गंभीरता से लेने के बाद पुलिसकर्मियों की परेशानी बढ़ गई। अभी तक यह रिपोर्ट तैयार की गई थी कि जून 2017 से पांच अगस्त 2018 तक बाल गृह में किस पुलिसकर्मी ने लड़कियों व बच्चों को रखा था? इसमें जनपद के 122 पुलिसकर्मी चिह्नित किए गए थे, लेकिन बुधवार को यह मामला और गंभीर हो गया। एडीजी व एसआइटी ने देवरिया पुलिस से यह डिटेल मांगा है कि जून 2017 से पांच अगस्त तक बरामद लड़कियों का डिटेल, बाल गृह बालिका में रखने और परिवार को सुपुर्द करने के आदेश देने वाले अधिकारियों के नाम, पता, पद, तिथिवार विवरण चाहिए। इतना ही नहीं उस समय के विवेचक व पुलिसकर्मियों के नाम भी देने के लिए कहा गया है। यह रिपोर्ट मांगे जाने के बाद पुलिसकर्मियों की बेचैनी और बढ़ गई है। कुछ विवेचक व पुलिसकर्मी गैर जनपद जा चुके हैं या फिर दूसरे थाने पर स्थानांतरित हो चुके हैं। इसके चलते समस्या पैदा हो गई है।