सलाखों के पीछे जाते ही गिरिजा की बढ़ी बेचैनी

देवरिया में बाल गृह की संचालिका गिरिजा ।िपाठी सलाखों के पीछे पहुंच गई है। अब उनकी परेशानी बढ़ गई हैं। जेल के अधिकारी और कर्मचारी भी उन्हें पहचानते हैं। मामला हाई प्राफाइल है, इसलिए उन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Aug 2018 09:28 AM (IST) Updated:Tue, 07 Aug 2018 09:28 AM (IST)
सलाखों के पीछे जाते ही गिरिजा की बढ़ी बेचैनी
सलाखों के पीछे जाते ही गिरिजा की बढ़ी बेचैनी

गोरखपुर : महिला थाने में आरोपों की सफाई देने वाली गिरिजा त्रिपाठी देवरिया जिले की कोर्ट में फफक पड़ी, लोगों ने उन्हें ढाढ़स बधाया। पति मोहन त्रिपाठी के साथ जब वह जेल पर पहुंची तो काफी मायूस दिखी। एक कंबल देकर उसे महिला बैरक में शिफ्ट कर दिया गया। जबकि मोहन त्रिपाठी को मुलाहिजा बैरक में रखा गया है। जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते ही दोनों काफी बेचैन हो गए। जेल में उन्हें भोजन दिया गया, लेकिन अनाज का निवाला गले के नीचे नहीं उतरा। जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय ने कहा कि दोनों ने जेल का दाना-पानी लिया, सामान्य हाल में वह अपनी बैरकों में हैं। मामला हाईप्रोफाइल होने के नाते दोनों पर नजर रखी जा रही है।

बाल गृह बालिका की संचालक गिरिजा त्रिपाठी का जेल में पहले से आना-जाना था। संस्था का हवाला देकर वह अक्सर जेल में बंदियों को फल, कपड़ा, दवा समेत अन्य सामान देने पहुंच जाती थी। कुछ धार्मिक कार्यक्रम भी उनके द्वारा जेल में कराया जाता था। बंदी, बंदी रक्षक और अधिकारी गिरिजा को जानते थे, जेल में जब उनका इन लोगों का आमना-सामना हुआ तो वह भावुक हो गई। दंपती के विवादों को सुलझाने के लिए पुलिस की ओर से बनाई गई ऐच्छिक ब्यूरों में गिरिजा त्रिपाठी काम करती थी। करीब तीन वर्ष से यह अपनी सेवाएं भी दे रही थी। तत्कालीन कप्तान राकेश शंकर की पहल पर वह प्रत्येक रविवार को पुलिस लाइन जाती और महिलाओं के विवाद को निपटाती थी।

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बेटा व आश्रम संचालक से पूछताछ

संस्था से गायब बच्चों की बरामदगी के लिए पुलिस ने कुशीनगर के रहने वाले एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। बताया जाता है कि रजला वृद्ध आश्रम को वह संचालक है। इसके अलावा गिरिजा के शिक्षक पुत्र को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। दोनों को कोतवाली में रखा गया। सेक्स रैकेट में आरोपित कंचनलता त्रिपाठी की तलाशी में पुलिस ने कई जगहों पर दबिश दी। पुलिस रिश्तेदारों को लेकर अन्य करीबी लोगों की पड़ताल कर रही हैं, जिनके यहां बच्चों के होने की उम्मीद है।

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बेटी की तलाश में स्टेशन स्थित संस्था कार्यालय पहुंचा पिता

बरहज क्षेत्र के बिसवा निवासी विनोद तिवारी को सुबह अखबार पढ़कर बेटी को खोजते स्टेशन रोड बाल बालिका गृह पर पहुंच गए। उनकी बेटी को 25 जुलाई को यहां रखा गया था। संस्था में ताला बंद देख उनकी आंखें भर आई। सीधे वह एसपी कार्यालय पहुंचा, वहां से उनका बेटा कोतवाली, फिर महिला थाना बाद में राजकीय बाल गृह पहुंचे। बेटी को लेकर उन्होंने अनहोनी की आशंका जताई है।

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