धैर्य, साहस व सतर्कता से घर पर रहकर ही हरा दिया कोरोना को

कोरोना को घर में रहकर भी हराया जा सकता है इसके लिए थोड़ा धैर्य व साहस होना जरूरी है। जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. नवीन कुमार वर्मा ने धैर्य साहस व सतर्कता से इस महामारी को घर में ही मात दे दी।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 03:10 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 03:10 PM (IST)
धैर्य, साहस व सतर्कता से घर पर रहकर ही हरा दिया कोरोना को
जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. नवीन कुमार वर्मा। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना को घर में रहकर भी हराया जा सकता है, इसके लिए थोड़ा धैर्य व साहस होना जरूरी है। जिला अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डा. नवीन कुमार वर्मा ने धैर्य, साहस व सतर्कता से इस महामारी को घर में ही मात दे दी। संक्रमित होने के बाद न तो वह डरे और न ही घबराए। खुद को आइसोलेट कर लिया और फिजिशियन डा. राजेश कुमार की सलाह पर दवाएं लेते रहे। हालांकि उनका संक्रमण खत्म होने में 18 दिन लग गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

पाजिटिव हुए तो खुद को एक कमरे में कर लिया बंद

डा. वर्मा ने बताया कि वह नौ अप्रैल को पाजिटिव आने के बार घर के एक कमरे में परिवार से अलग हो गए। दवाओं के साथ भाप लेते रहे और गरारा करते रहे। 10 दिन बाद पुन: जांच कराई तो रिपोर्ट फिर पाजिटिव आ गई, लेकिन इसे लेकर उनके मन में कोई घबराहट नहीं हुई। अंतत: 27 अप्रैल को वह निगेटिव हो गए। इसके बाद भी पांच दिन तक घर में ही रहे। लोगों से दूरी बनाए रहे। उन्होंने कहा कि इस दौरान शुभचिंतकों व परिवार का भरपूर सहयोग मिला। सभी लोग मनोबल बढ़ाते रहे। मैं इसकी गंभीरता को समझ रहा था, इसलिए पूरी सतर्कता बरत रहा था।

संदिग्धों के बीच रहकर लड़े कोरोना से जंग, सतर्कता के साथ किया इलाज

कोरोना से लड़ना डाक्टरों की प्राथमिकता है। स्थितियां चाहे जितनी भी विषम क्यों न हों, डाक्टरों ने इस जंग में मोर्चा संभाला और कोरोना को मात देने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. राजन शाही। कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ भले ही ओपीडी बंद हो गया, लेकिन उन्होंने इमरजेंसी में अनवरत ड्यूटी की और संदिग्धों के बीच रहकर कोरोना को चुनौती देते रहे।

पूरी सकर्तता के साथ किया जाता रहा सं‍क्रमितों का इलाज

डा. शाही ने बताया कि कोरोना काल में पूरी इमरजेंसी फुल थी। इसमें कौन सा मरीज संक्रमित है, इस पता नहीं चलता था। अनेक लोगों की कोरोना की एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भर्ती कर लिया गया, लेकिन तीन बाद आरटीपीसीआर रिपोर्ट में वे पाजिटिव आ गए। इस दौरान उनका इलाज पूरी सतर्कता के साथ किया जाता रहा। हम लोग यह मानकर चल रहे थे कि यहां जो भी मरीज भर्ती है, उसमें संक्रमण हो सकता है। इसलिए कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए इलाज किया गया। इसमें अस्पताल के पूरे स्टाफ का बहुत सहयोग रहा। सभी ने अपने जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा की। जो लोग पाजिटिव आए, उन्हें एक अलग वार्ड में रखकर तब तक इलाज किया जाता था, जब तक वे कोविड अस्पताल में नहीं चले जाते थे।

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