कोरोना संक्रमण से मौतें छिपा रहा स्वास्थ्य विभाग, जिले व प्रदेश से जारी मौतों के आंकड़ों में भारी अंतर
गोरखपुर में स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण से मौतों को छिपाने की कोशिश कर रहा है। जिले व प्रदेश से जारी होने वाली गोरखपुर की बुलेटिन में संक्रमितों व मौतों के आंकड़े में बड़ा अंतर है। प्रदेश के रिपार्ट में इनकी संख्या अधिक रहती है और जिले की कम।
गोरखपुर, जेएनएन। होली व पंचायत चुनाव के मद्देनजर बड़ी संख्या में लोगों के बाहर से आने की आशंका थी। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कोई तैयारी नहीं की। सभी की जांच तो दूर, जिनकी जांच हुई, उनमें भी पाजिटिव आए लोगों को छोड़ दिया गया। अब जब संक्रमण की रफ्तार बढ़ चुकी है और लगातार मौतें हो रही हैं। विभाग इन्हें छिपाने की कोशिश कर रहा है। जिले व प्रदेश से रोज जारी होने वाली गोरखपुर की बुलेटिन में संक्रमितों व मौतों के आंकड़े में बड़ा अंतर है। प्रदेश के बुलेटिन में ज्यादातर दिनों की रिपार्ट में इनकी संख्या अधिक है, और जिले की कम। जबकि प्रदेश की कम होनी चाहिए, क्योंकि वहां दोपहर बाद तीन बजे आंकड़े जारी हो जाते हैं। जिले की बुलेटिन सायं सात बजे के बाद जारी होती है।
प्रदेश की बुलेटिन में संख्या ज्यादा, जिले की कम
23 अप्रैल को प्रदेश से जारी बुलेटिन में माैतों की संख्या आठ थी जबकि जिले की बुलेटिन में यह संख्या मात्र दो है। इसी तरह 26 अप्रैल को प्रदेश की बुलेटिन बताती है कि गोरखपुर में सात मौतें हुईं जबकि सीएमओ कार्यालय से जारी बुलेटिन के अनुसार मौतों की संख्या शून्य है। 28 अप्रैल को प्रदेश से जारी आंकड़ों में मौतों की संख्या 11 और जिले के आंकड़ों में मात्र एक है।
प्रदेश की बुलेटिन की आंकड़े
तारीख संक्रमित मौत
23 अप्रैल 992 08
24 1344 02
25 996 03
26 1539 07
27 852 00
28 1045 11
29 1198 04
30 828 04
01 मई 1070 07
जिले की बुलेटिन के आंकड़े
तारीख संक्रमित मौत
23 अप्रैल 1078 02
24 1256 02
25 1440 05
26 887 00
27 772 01
28 1263 01
29 1015 01
30 1076 04
01 मई 620 00
गोरखपुर की बुलेटिन में 24 घंटे में हुई मौतों की सूचना जारी की जाती है। कोविड अस्पताल रोज की मौतें पोर्टल पर अपलोड नहीं करते हैं। पुरानी मौतें जो अपलोड होती हैं, उन सभी की सूचना प्रदेश को भेजी जाती है। इसलिए वहां से जारी संख्या अधिक दिखती है। मौतों की कुल संख्या में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि उनमें पुरानी व नई सभी मौतें जोड़ी जाती हैं। - डा. सुधाकर पांडेय, सीएमओ